कांग्रेस की असम इकाई ने बुधवार को लोकसभा से राहुल गांधी की अयोग्यता पर बहस के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की एक टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन नोटिस दाखिल किया. कांग्रेस विधायक दल ने असम विधानसभा के प्रधान सचिव के पास शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद शर्मा ने सदन के अंदर टिप्पणी वापस ले ली. हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक विशेषाधिकार हनन नोटिस वापस नहीं लिया है और बयान वापस लेने के बजाय मुख्यमंत्री से माफी की मांग की है.
विधानसभा के प्रधान सचिव को भेजे शिकायत पत्र में कांग्रेस ने कहा, "आज सदन में, सदन के नेता डॉ. हिमंत शर्मा ने कहा है कि उन्हें एसीएलपी (असम कांग्रेस विधायक दल) के कमरे में हुई चर्चा के बारे में पता है. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा है कि कुछ माननीय सदस्य एसीएलपी ने उन्हें 28 मार्च, 2023 को हुई सीएलपी बैठक में लिए गए निर्णय के बारे में सूचित किया है. हम एसीएलपी के सदस्य महसूस करते हैं कि यह सदन के नेता द्वारा गलत बयान है. इसलिए, हम एसीएलपी के सदस्य सदन के नेता डॉ. हिमंत (एसआईसी) के खिलाफ विशेषाधिकार का उल्लंघन करते हैं."
इस पत्र पर 20 विधायकों ने हस्ताक्षर किए. उन्होंने प्रमुख सचिव से कानून के अनुसार "आगे की कार्रवाई" करने का आग्रह किया. इससे पहले असम विधानसभा में कांग्रेस द्वारा अदालत के फैसले के बाद लोकसभा से राहुल गांधी की अयोग्यता पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश करने पर हंगामा हुआ.
विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने नोटिस पेश किया और कहा, "हम भारत के राष्ट्रपति को संविधान को बनाए रखने का अनुरोध करते हुए एक प्रस्ताव भेजना चाहते हैं. संविधान सभी के लिए समान है और कार्यपालिका को इसकी रक्षा के लिए निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए." प्रस्ताव का जवाब देते हुए, हिमंत ने कहा, "यह अभूतपूर्व है कि हम यहां एक न्यायिक मामले पर राय व्यक्त कर रहे हैं. मुझे पता है कि कल रात कांग्रेस विधायक दल द्वारा यहां शोर मचाने का फैसला लिया गया था." कांग्रेस विधायक दल के उप नेता रकीबुल हुसैन ने बयान पर आपत्ति जताई.