गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को एंटी CAA (anti-citizenship law) एक्टिविस्ट अखिल गोगोई की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. गोगोई को 2019 में हुई हिंसा में कथित रूप से उनकी भूमिका को लेकर देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. अगस्त के बाद से ऐसा दूसरी बार है कि उनकी जमानत याचिका खारिज हुई है. इसके पहले NIA कोर्ट भी उनकी याचिका खारिज कर चुकी है.
एंटी सीएए अभियान के दौरान गोगोई को दिसंबर, 2019 में जोरहाट से गिरफ्तार किया गया था. असम में हालात बिगड़ रहे थे, जिसके चलते उन्हें 'बचाव के तहत उठाए जा रहे कदम' के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन्हें बाद में हिंसक प्रदर्शनों में उनकी संदिग्ध भूमिका और माआोवादी तत्वों के साथ संभावित लिंक के आधार पर नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी को सौंप दिया गया था.
मार्च, 2020 में उन्हें NIA कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दी थी. उनके तीन सहयोगी भी उनकी गिरफ्तारी के एक दिन बाद गिरफ्तार किए गए थे, लेकिन उन्हें जमानत दे दी गई. हालांकि, कृषक मुक्ति संग्राम समिति के संस्थापक गोगोई पर दो मामलों- चांदमारी और छाबुआ केस में UAPA कानून के तहत देशद्रोह की धारा लगाई गई है.
इसी बीच पिछले साल 11 जुलाई को अखिल गोगोई कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे और उनका गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इलाज कराया गया था. 17 जुलाई को हाईकोर्ट ने उन्हें तीन अन्य मामलों में जमानत दे दी थी. यह केस दिसंबर, 2019 में सर्किल ऑफिस, पोस्ट ऑफिस और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के डिब्रूगढ़ के एक ब्रांच में आगजनी से जुड़े हुए थे.
उनके समर्थकों ने एक क्षेत्रीय पार्टी रायजोर दल का गठन किया है, जो अप्रैल-मई में होने वाले असम विधानसभा चुनावों में बीजेपी से मुकाबला करने वाली है.