मेरे हाथ में गन हो और सामने मुनीर का बेटा... NDTV से बात करते हुए जब फट पड़ा लेफ्टिनेंट नरवाल के पिता का दर्द

टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके (आतंकी संगठनों पर) ऊपर ऐसा एक्शन होना चाहिए कि वो (आतंकी) सांस ना लें. इस दुनिया में क्योंकि ये दुनिया उन लोगों के लिए नहीं है.

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राजेश नरवाल ने एनडीटीवी से की खास बातचीत

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  • भारत ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करने के फैसले का स्वागत किया है. पहलगाम आतंकी हमले के पीछे यही संगठन था.
  • लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर NDTV से खास बातचीत की.
  • राजेश नरवाल ने कहा कि आतंकवाद का दर्द वही समझ सकता है जिसके बच्चे आतंकवादी हमले में मारे गए हों.
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नई दिल्ली:

भारत ने टीआरएफ आतंकी संगठन घोषित करने के अमेरिका के फैसले का स्वागत किया है. टीआरएफ वही आतंकी संगठन है जिसने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. NDTV ने टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले पर पहलगाम हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता से खास बातचीत की. इस बातचीत के दौरान राजेश नरवाल काफी भावुक हो गए और उनका दर्द निकला. 

NDTV से खास बातचीत में राजेश नरवाल ने कहा कि अगर बात आसिफ मुनीर की है तो ऐसे लोगों को उस दिन पता चलेगा जब ऐसे किसी आतंकी हमले में उसका बेटा या बेटी मारे जाएं. आसिफ मुनीर या इस जैसे किसी की भी आंख तभी खुलेगी और पता चलेगा कि आखिर अपने बच्चों को खोने का दर्द क्या होता है. अगर मेरे हाथ में गन दी जाए और मैं उसके बेटे या बेटी को शूट करूं तब उसे पता चलेगा कि आखिर कितना दर्द होता है. 

टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके (आतंकी संगठनों पर) ऊपर ऐसा एक्शन होना चाहिए कि वो (आतंकी) सांस ना लें. इस दुनिया में क्योंकि ये दुनिया उन लोगों के लिए नहीं है. उन लोगों को तो भट्टी में डाल देना चाहिए. ऐसे लोगों के लिए धरती पर कोई जगह नहीं है. सिर्फ प्रतिबंध लगाने से कुछ नहीं होगा. ये दर्द और दुख वो जानता है जिसपर ये बीत रही है. हमें पता है कि हम कैसे जी रहे हैं. हम हर दिन अपने बेटे के खोने के दर्द के साथ जी रहे हैं. जब हम ये सब याद करते हैं तो हम टूट जाते हैं. इन लोगों को बक्शा नहीं जाना चाहिए. 

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