अरुणाचल में 20,900 फुट ऊंची पर्वत चोटी पर 15 सदस्‍यीय टीम ने फहराया परचम, छठे दलाई लामा के नाम से जानी जाएगी

अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में स्थित 20,942 फुट ऊंची इस चोटी का नाम छठे दलाई लामा रिग्‍जेन त्सांगयांग ग्यात्सो के सम्मान में "त्सांगयांग ग्यात्सो पीक" (Tsangyang Gyatso Peak) रखा है. 

Advertisement
Read Time: 2 mins

पहाड़ कितना भी ऊंचा क्‍यों न हो, पर्वतरोहियों के बुलंद इरादों के सामने आखिर बौना साबित हो ही जाता है. ऐसा ही कर दिखाया है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (National Institute of Mountaineering and Adventure Sports) की एक टीम ने. इस टीम ने चीन की सीमा के करीब अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग-पश्चिम कामेंग इलाके में पूर्वी हिमालय की गोरीचेन रेंज में स्थित एक अज्ञात 20,942 फुट ऊंची चोटी पर चढ़ने में सफलता हासिल की है. 

सेना के एक कर्नल के नेतृत्व में 15 सदस्यीय टीम ने छठे दलाई लामा रिग्‍जेन त्सांगयांग ग्यात्सो के सम्मान में चोटी का नाम "त्सांगयांग ग्यात्सो पीक" रखा है. 

15 सदस्‍यीय टीम के सामने थी कई चुनौतियां 

अरुणाचल प्रदेश के दिरांग में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स परिसर से कर्नल रणवीर सिंह जामवाल के नेतृत्व में टीम 7 सितंबर को चोटी पर चढ़ने के लिए रवाना हुई और अभियान में 15 दिन लगे. 

रक्षा पीआरओ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यह चोटी तकनीकी रूप से इस क्षेत्र की सबसे चुनौतीपूर्ण और अज्ञात चोटियों में से एक थी और टीम को "बर्फ की दीवारें, खतरनाक दरारें और 2 किलोमीटर लंबे ग्लेशियर"  सहित कई बड़ी चुनौतियों से पार पाना था. 

बयान में कहा गया है कि शिखर का नाम रिग्जेन त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखकर NIMAS "उनके कालातीत ज्ञान और मोनपा समुदाय और उसके गहन योगदान को सम्‍मान देना चाहता था."  मोनपा जनजाति पूर्वोत्तर में सबसे अधिक आबादी वाले आदिवासी समुदायों में से एक है. 

एक अधिकारी ने कहा कि NIMAS ने भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन को सफल अभियान के बारे में सूचित कर दिया है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि "त्सांगयांग ग्यात्सो पीक" आधिकारिक मानचित्रों पर मान्यता प्राप्त है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Jammu Kashmir Elections: तीसरे दौर में मजेदार हुआ मुकाबला, पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरु