Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य में संभावना या बड़ा खतरा?

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एआई और टेक्नोलॉजी की वजह से अगले पांच सालों में लगभग 8.3 करोड़ लोग अपनी नौकरियां गंवा देंगे.

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नई दिल्ली:

दुनियाभर में AI यानी Artificial Intelligence को लेकर लोगों के बीच जॉब सिक्योरिटी को लेकर बहस छिड़ चुकी है. एआई के बढ़ते प्रभुत्व ने 'व्हाइट कॉलर जॉब्स' को भी इसकी जद में ला दिया है. हालांकि, इसे लेकर लोग दो मतों में बंटे हैं. एक का कहना है कि इससे नौकरियां धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगीं. वहीं, कुछ का कहना है कि AI लोगों के जीवन में कई मौके लेकर आने वाला है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या एआई भविष्य में नौकरियों की संभावनाएं पैदा करेगा या फिर नौकरियों के लिए खतरा बन जाएगा? 

पिछले हफ्ते वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट आई है. जिसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर नई बहस हो रही है. 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स: 2023' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे अगले पांच सालों में एआई और टेक्नोलॉजी मिलकर लाखों वर्कर्स की नौकरियां खाने जा रहे हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, अगले पांच सालों में लगभग 8.3 करोड़ लोग अपनी नौकरियां गंवा देंगे. सबसे ज्यादा एडमिन और एग्‍जीक्यूटिव सेक्रेटरी, कैशियर, डाटा एंट्री और टिकट क्लर्क, डाक सेवा क्लर्क, बैंककर्मी जैसे पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरियां जाएंगी.

पांच सालों में 6.9 करोड़ नौकरियां ही होंगी पैदा
एआई के बढ़ते प्रभाव से मल्टीलिंगुअलिज्म, रीडिंग, राइटिंग मैथ, सेंसरी प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में मांग घटने से अगले पांच सालों में 8.3 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं. वहीं, क्रिएटिव थिंकिंग, एनेलेटिकल थिंकिंग, टेक्नोलॉजिकल लिटरेसी जैसे क्षेत्रों में सिर्फ 6.9 करोड़ नौकरियां ही पैदा होंगी. इसका मतलब है कि 1.4 करोड जॉब्स फिर भी नहीं रहने वाले और इसकी वजह एआई बनेगा.

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AI पर CBSE 33 नए कोर्स शामिल कर रहा शामिल
जॉब सिक्योरिटी को लेकर चिंता के बीच भारत में स्कूली शिक्षा को लेकर एक बड़ी पहल हो रही है. सीबीएसई क्लास 6 से लेकर क्लास 8 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े कोर्सेस शामिल कर रही है. इसे नई शिक्षा नीति के तहत स्किल एजुकेशन यानी कौशल विकास शिक्षा का हिस्सा माना जा रहा है. इसके तहत छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जानकारी दी जाएगी. इसमें कोडिंग और डेटा साइंस के कोर्स भी शामिल किए जाएंगे. सीबीएसई इस तरह के कुल 33 नए कोर्स शामिल कर रहा है, जो 10 से 15 घंटे के होंगे और ऑप्शनल होंगे.

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जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है AI
सवाल उठ रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से किस तरह के काम लिए जा सकते हैं? दरअसल, एआई से हर तरह के काम लिए जा सकते हैं. चिंता इसी बात की है. अभी से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. बहुत से ऐसे काम हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ही हो रहे हैं. मसलन, सेल्फ ड्राइविंग कार आ रही है. गूगल मैप तो पहले से ही हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. इसके साथ ही फेस डिटेक्शन, वॉइस रिकॉग्निशन, टेक्स्ट ऑटोकरेक्ट, ऑटोमेटेड ट्रांसलेशन, चैटबॉट, ई-पेमेंट, एपल का सिरी (Siri) फीचर और अमेजॉन की एलेक्सा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में ये लिस्ट और बड़ी होती जाएगी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर होने वाली बहस और भी तीखी होगी.

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AI मौका या खतरा?
एआई एक्सपर्ट प्रोफेसर फरहत बशीर खान ने NDTV से बातचीत में बताया, "एआई का इस्तेमाल वैसे तो हम लोग जमाने से कर रहे हैं. बेशक इंटरफेस थोड़ा मुश्किल था. अब तक आम आदमी तक एआई का इस्तेमाल सीधे तौर पर नहीं हो पा रहा था. बीच में कोडर्स की जरूरत होती थी. अभी बड़ा बदलाव आया है. चैट जीपीटी और इसकी तरह के और भी इंटरफेस आ गए हैं, जो हमारी भाषा समझते हैं. ये हमारी भाषा में वही ऑटोमेशन जो अब तक कोडर्स करते थे या इंबेडेड होते थे; बड़ी आसानी से हो जाते हैं. इसलिए हमें लगता है कि आने वाले दिनों में एआई हर तरह के काम करने लगेगा. ऐसे में हमें जॉब जाने की चिंता हो रही है."

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प्रोफेसर फरहत बशीर खान आगे बताते हैं, "हालांकि एआई हमारी जीडीपी के लिए एक बहुत बड़ा सहारा बनेगा. ये देश की जीडीपी में बड़ा योगदान देगा." वहीं, रिस्क एंड रेगुलेटरी के प्रमुख गगन पुरी ने NDTV से बातचीत में कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक ट्रांजिशन (बदलाव) के नजरिए से देखना चाहिए. मेरे हिसाब से AI एक खतरे से ज्यादा मौका है. न सिर्फ देश के लिए, बल्कि पूरी मानव समाज के लिए ये एक मौका है कि हम कैसे इससे काम कर पाते हैं."

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स के मुताबिक, इस समय दुनिया में 30 लाख से ज्यादा इंडस्ट्रियल रोबोट हैं. इनके अलावा लाखों रोबोट घरों, शॉपिंग मॉल जैसी जगहों पर सहायकों की भूमिका में सेवाएं दे रहे हैं. बेशक एआई एक मौका हो सकता है, लेकिन जिस-जिस सेक्टर्स पर लोगों की नौकरियां जा रही हैं और वहां नौकरियां बचाने की किस तरह की तैयारियां हैं. इस पर भी बहस की जरूरत है.

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