उत्तराखंड में नंदादेवी ग्लेशियर (Uttarakhand Glacier Disaster) टूटने के बाद आई बाढ़ को देखते हुए सेना की टुकड़ियों ने भी मोर्चा संभाल लिया है. तपोवन-रेणी पनबिजली परियोजना में काम कर रहे 150 से ज्यादा मजदूरों के लापता होने और मारे जाने की आशंका के बीच सेना (Army) के जवान भी युद्धस्तर पर बचाव कार्य में लग गए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा जानें बचाई जा सकें. चमोली जिले के जोशीमठ में नंदा देवी ग्लेशियर (Nanda Devi Glacier) का एक बड़ा हिस्सा रविवार सुबह टूटा था. इसके बाद धौली गंगा नदी में आई भीषण बाढ़ से प्रभावित लोगों के बचाव के लिए सेना ने चार कॉलम और दो मेडिकल टीमें तैनात की हैं. जोशीमठ के रिंगी गांव में सेना की इंजीनियरिंग टास्क फोर्स का एक दल भी तैनात है.आईटीबीपी के प्रवक्ता ने परियोजना प्रभारी ने कहा कि अभी तक तीन शव बरामद हुए हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया कि चमोली में ग्लेशियर टूटने से हुई अमूल्य जनहानि से वे बहुत दुखी हैं. उनकी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं. राहत और बचाव कार्य के लिए बरेली से सशस्त्र बलों के दो हेलीकॉप्टर को जोशीमठ भेजा गया है.
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मैं ग्लेशियर टूटने से चमोली जिले में आई आपदा की तस्वीरें देख रहा हूं. हम आपदा से प्रभावित लोगों के साथ खड़े हैं. उत्तराखंड के लोगों की हिफाजत की प्रार्थना कर रहे हैं.सेना ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को बचाने के लिए कई हेलीकॉप्टर भेजे हैं.
सेना के चार कॉलम और दो चिकित्सा टीमें अभी लगाई गई हैं. सेना की एक कॉलम में सामान्य रूप से 30-40 सैनिक होते हैं. वायुसेना के सी-130 और एएन32 विमानों की मदद से एनडीआरएफ के कर्मियों को प्रभावित इलाकों तक पहुंचाया गया है.