आर्मी चीफ ने फिर की सेनाओं के एकीकरण की पैरवी, जरूरत क्यों और क्या हैं अड़चनें?

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि थिएटराइजेशन आज नहीं तो कल होकर ही रहेगा. केवल यह देखना है कि इसमें कितना समय लगेगा? इसके लिए हमें कई चरणों से गुजरना पड़ेगा, जिसमें संयुक्‍तता और एकीकरण और अन्य मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करने की जरूरत है. 

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  • सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने थिएटराइजेशन पर चली रही चर्चाओं के बीच सेनाओं के एकीकरण की पैरवी की है.
  • उन्‍होंने कहा कि थिएटराइजेशन आज नहीं तो कल होकर ही रहेगा. केवल यह देखना है कि इसमें कितना समय लगेगा?
  • उन्‍होंने कहा कि कई एजेंसियों को साथ काम करना है तो थिएटराइजेशन इसका जवाब है, क्योंकि कमान की एकता जरूरी है.
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नई दिल्‍ली :

Army Theaterisation: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एक बार फिर सेनाओं के एकीकरण की जमकर पैरवी की है. थिएटराइजेशन पर चली रही चर्चाओं के बीच उन्‍होंने एक बार फिर इसका जोरदार समर्थन किया और कहा कि थिएटराइजेशन आज नहीं तो कल होकर ही रहेगा. केवल यह देखना है कि इसमें कितना समय लगेगा? साथ ही जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह समय की जरूरत के साथ जरूरी भी है. 

सेना प्रमुख का यह बयान ऐसे समय पर आया है कि जब करीब हफ्ते भर पहले इंदौर के आर्मी वॉर कॉलेज में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने थिएटर कमांड्स बनाने की जल्दबाजी के खिलाफ चेताया था. उन्होंने इसके बजाए दिल्ली में संयुक्त योजना और सीडीएस की भागीदारी वाले जॉइंट प्लानिंग और कॉर्डिनेशन सेंटर की वकालत की थी. वहीं नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा था कि थिएटराइजेशन ही संयुक्‍तता का अंतिम लक्ष्य है. इसी को ध्यान में रखकर सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने भी सेनाओं के बीच इन मतभेदों की बात मानी थी. उन्होंने तभी कहा कि यह खुली और स्पष्ट चर्चा स्वागत योग्य है, लेकिन अंतिम फैसला राष्ट्र हित को ध्यान में रखकर ही लिया जाएगा. 

थिएटराइजेशन होकर ही रहेगा: जनरल द्विवेदी

आर्मी वॉर कॉलेज के रण संवाद में थिएटराइजेशन पर जब चर्चा हो रही थी, तब आर्मी चीफ देश से बाहर अल्जीरिया में थे. अब उन्होंने खुलकर इस पर अपनी बात रखी है. जनरल द्विवेदी ने कहा कि थिएटराइजेशन आज नहीं तो कल होकर ही रहेगा. केवल यह देखना है कि इसमें कितना समय लगेगा? इसके लिए हमें कई चरणों से गुजरना पड़ेगा, जिसमें संयुक्‍तता और एकीकरण और अन्य मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करने की जरूरत है. 

क्यों जरूरी थिएटराइजेशन... जनरल द्विवेदी ने बताया

उन्होंने बताया कि आखिर थिएटराइजेशन क्यों जरूरी है. उन्‍होंने कहा कि जब हम लड़ाई लड़ते हैं तो केवल आर्मी अकेले लड़ाई नहीं लड़ती. बॉर्डर पर आप देखेंगे कि हमारे साथ बीएसएफ और आईटीबीपी भी होती हैं. इसके साथ ही रक्षा साइबर एजेंसी होती है, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और अब कॉग्निटिव वॉरफेयर एजेंसी की भी बात कर रहे हैं. इसके अलावा इसरो, नागरिक सुरक्षा, नागरिक उड्डयन, रेलवे, एनसीसी, राज्य और केंद्र की कई एजेंसियां भी हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर इतनी सारी एजेंसियों के साथ काम करना है तो थिएटराइजेशन ही इसका जवाब है, क्योंकि कमान की एकता ज्यादा जरूरी है. इनके बीच कार्यान्वयन में समन्वय स्थापित करने के लिए एक कमांडर की जरूरत होती है. यही कारण है कि थिएटराइजेशन निहायत ही जरूरी है. 

वहीं बात करें तो नौसेना शुरू से ही थिएटराइजेशन के पक्ष में रही है क्योंकि उसे पूर्वी और पश्चिमी समुद्री सीमाओं की देखरेख करने वाले मैरिटाइम थिएटर कमांड की जिम्मेदारी मिलनी है, जबकि वायु सेना का कहना है कि वायु संसाधनों को तीन या इससे अधिक थिएटर कमांड में बांटना व्यर्थ होगा क्योंकि इससे अहम प्रणाली उलझ कर रह जाएगी. 

देश में तीन थिएटर कमांड्स की जारी है तैयारी

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, देश में तीन थिएटर कमांड्स की तैयारी चल रही है, जिसमें एक नॉर्दर्न थिएटर कमान होगा जो चीन पर केंद्रित होगा तो दूसरा वेस्टर्न थिएटर कमांड होगा जो पाकिस्तान पर केंद्रित होगा. वहीं नौसेना के लिए मैरिटाइम थिएटर कमांड  होगा. केंद्र सरकार की कोशिश है कि तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल के लिए इंटेग्रेटेड थिएटर कमांड बनाया जाए. थिएटर कमांड यानी एकीकृत कमांड एक ऐसा सिस्टम होगा, जिसके तहत आर्मी, नेवी और इंडियन एयरफोर्स बेहतर तालमेल के साथ एक दूसरे की क्षमताओं का कुशलता से इस्तेमाल करेंगी. सेना में जिस थियेटरीकरण मॉडल को अपनाया जा रहा है, उसमें लखनऊ में चीन-केंद्रित उत्तरी थियेटर कमान, जयपुर में पाकिस्तान-केंद्रित पश्चिमी थियेटर कमान और तिरुवनंतपुरम में समुद्री थियेटर कमान की स्थापना शामिल है. 

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सेनाओं में थिएटराइजेशन की बात पिछले कई सालों से चल रही है, लेकिन सैन्य जानकारों का यह कहना है कि हमें अमेरिका या चीन की तरह थिएटराइजेशन नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारी जरूरतें और सोच अलग है. हमें जो कुछ भी करना है, वह अपने नजरिए से करना चाहिए जिससे सेना भविष्य की चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से कर पाए. 

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