नई दिल्ली:
जमीन से हवा में मार करने में सक्षम सुपरसोनिक मिसाइल 'आकाश' मंगलवार को भारतीय सेना में शामिल कर ली गई है। राजधानी के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक समारोह के बाद सेना प्रमुख को इसकी चाबियां सौंप दी गईं। केवल तीन सेकंड में फायर होने वाली 'आकाश' मिसाइल सेना के लिए हवाई सुरक्षा ढाल साबित होगी।
25 किलोमीटर की दूरी पर रहते ही दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन या यूएवी को पलक झपकते गिरा देने में सक्षम 'आकाश' मिसाइल देश में ही बनी है। सेना सह-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कम्पोस ने कहा कि इससे आने से सेना को काफी ताकत मिली है।
हर मौसम में कारगर 'आकाश' मिसाइल आसमानी सरहदों की सुरक्षा के लिए अचूक अस्त्र है। पूरी तरह ऑटोमेटिक इस मिसाइल सिस्टम को रेल या सड़क के जरिये ढोया जा सकता है। 'आकाश' 25 किलोमीटर के दायरे में आए किसी भी जहाज़ को गिरा सकती है। एक साथ आठ लक्ष्यों को भेद सकती है। केवल तीन सेकंड में फायर की जा सकती है, और अगले सिर्फ 20 सेकंड में दुश्मन के जहाज़ को बरबाद कर सकती है। इसकी स्पीड 660 मीटर प्रति सेकंड है।
'आकाश' मिसाइल सिस्टम का राडार 100 किलोमीटर की दूरी से ही अपने दोस्त या दुश्मन जहाज़ को देख सकता है। वर्ष 2012 में वायुसेना को इसका हवा से ज़मीन में मार करने वाला वर्ज़न सौंपा गया था।
इस मिसाइल को मौजूदा स्थिति तक विकसित होने और अब सेना को मिलने में कुल 30 साल लग गए, लेकिन इससे जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो 'स्टेट ऑफ द आर्ट' सिस्टम बनाने में इतना वक्त तो लग ही जाता है। देश में बनने से न केवल इसकी लागत तीन गुना कम आई है, बल्कि इसमें फेरबदल और सुधार करने के लिए किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
25 किलोमीटर की दूरी पर रहते ही दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन या यूएवी को पलक झपकते गिरा देने में सक्षम 'आकाश' मिसाइल देश में ही बनी है। सेना सह-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कम्पोस ने कहा कि इससे आने से सेना को काफी ताकत मिली है।
हर मौसम में कारगर 'आकाश' मिसाइल आसमानी सरहदों की सुरक्षा के लिए अचूक अस्त्र है। पूरी तरह ऑटोमेटिक इस मिसाइल सिस्टम को रेल या सड़क के जरिये ढोया जा सकता है। 'आकाश' 25 किलोमीटर के दायरे में आए किसी भी जहाज़ को गिरा सकती है। एक साथ आठ लक्ष्यों को भेद सकती है। केवल तीन सेकंड में फायर की जा सकती है, और अगले सिर्फ 20 सेकंड में दुश्मन के जहाज़ को बरबाद कर सकती है। इसकी स्पीड 660 मीटर प्रति सेकंड है।
'आकाश' मिसाइल सिस्टम का राडार 100 किलोमीटर की दूरी से ही अपने दोस्त या दुश्मन जहाज़ को देख सकता है। वर्ष 2012 में वायुसेना को इसका हवा से ज़मीन में मार करने वाला वर्ज़न सौंपा गया था।
इस मिसाइल को मौजूदा स्थिति तक विकसित होने और अब सेना को मिलने में कुल 30 साल लग गए, लेकिन इससे जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो 'स्टेट ऑफ द आर्ट' सिस्टम बनाने में इतना वक्त तो लग ही जाता है। देश में बनने से न केवल इसकी लागत तीन गुना कम आई है, बल्कि इसमें फेरबदल और सुधार करने के लिए किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
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