- सेना प्रमुख ने कहा, आधुनिक युद्ध का स्वरूप बदल चुका है. भारत को वायु रक्षा नीति पुनर्परिभाषित करनी चाहिए
- उन्होंने बताया कि खतरे अब जमीन, आकाश, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस सहित हर दिशा से एक साथ सामने आ रहे हैं
- जनरल ने कहा, भविष्य के युद्ध में ड्रोन स्वार्म, जैमिंग तकनीक, रियल-टाइम इंटेलिजेंस महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा है कि आधुनिक युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है और भारत को अपनी वायु रक्षा नीति तथा युद्ध सिद्धांत (डॉक्ट्रिन) को नई सोच के साथ पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है. वे बुधवार को राजधानी में रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) में आयोजित दिल्ली डिफेंस डायलॉग में बोल रहे थे.
जनरल द्विवेदी ने कहा कि आज की लड़ाइयां किसी निश्चित मोर्चे तक सीमित नहीं रहीं. अब खतरे जमीन, आकाश, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस—हर दिशा से एक साथ सामने आ रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि भारत को ऐसे नेटवर्क-केंद्रित युद्ध के लिए तैयार रहना होगा, जिसमें ड्रोन स्वार्म, जैमिंग तकनीक, काउंटर-ड्रोन सिस्टम और रियल-टाइम इंटेलिजेंस जैसी क्षमताएँ निर्णायक भूमिका निभाएंगी.
सेना प्रमुख ने हाल के अंतरराष्ट्रीय संघर्षों का हवाला देते हुए कहा कि भविष्य का युद्ध केवल मिसाइलों या लड़ाकू विमानों पर निर्भर नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि “जो अधिक तेज, लचीला और तकनीकी रूप से सक्षम होगा, वही विजेता बनेगा,”. खासकर यूक्रेन युद्ध से हमे बहुत कुछ सीखने को मिला. लड़ाई से लेकर सूचना तंत्र का इस जंग में बखूबी इस्तेमाल हुआ.
सेना प्रमुख ने बताया कि आधुनिक रक्षा प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर चिप्स और अगली पीढ़ी के संचार नेटवर्क को शामिल करने पर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है. जनरल द्विवेदी ने कहा, “अब तकनीक कुछ देशों या संगठनों तक सीमित नहीं रही है; यह सबकी पहुंच में है, जिससे युद्ध के समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं.”
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने यह भी कहा कि ओपन सोर्स विश्लेषण और भविष्यवाणी आधारित विश्लेषण ने ऑपेरशन सिंदूर के पहले चरण में हमारी काफी मदद की. देश के भीतर से बहुत से वॉलंटियर्स आगे आए. प्रवासी भारतीय समुदाय ने भी आगे बढ़कर हमारी सहायता की. सिंदूर के पहले चरण में हम काफी मज़बूत रहे. हमने इससे बहुत कुछ सीखा है इसलिए चाहे वह सिंदूर का दूसरा चरण हो या उसके बाद की कोई भी लड़ाई, हम इसे बड़े स्तर पर देख रहे हैं.
इस संवाद में रक्षा मंत्री, तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी, रक्षा उद्योग जगत के विशेषज्ञ और कई विदेशी रणनीतिक विश्लेषक भी उपस्थित रहे.














