दुनिया के सबसे ऊंचे पुल का आर्च बनकर तैयार, जानिए तूफान-भूकंप को नाकाम करने वाले पुल की ये 10 खासियतें..

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Chenab bridge भारतीय इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है
नई दिल्ली:

Chenab Bridge : जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में चिनाब नदी पर बन रहे रेलवे पुल को सोमवार को मेहराब तकनीक यानी हैंगिंग आर्च के जरिए पूरा किया गया. ये दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है और इसकी कुल ऊंचाई 467 मीटर है. सीस्मिक जोन 5 के हिसाब से ये पुल तैयार किया गया है, यानी भारी भूकंप पर भी इसका बाल बांका नहीं होगा.दुनिया का सबसे ऊंचा यह रेलवे पुल अगले साल चालू होने की उम्‍मीद है. यह पुल कश्मीर घाटी को शेष भारत से जोड़ेगा. आर्च को इंजीनियर का बेहतरीन नमूना माना जा रहा है.रेल मंत्री पीयूष गोयल (Railway Minister Piyush Goyal) ने दिल्ली में वीडियो लिंक के जरिये केबल क्रेन द्वारा आर्च का काम पूरा होने के वाकये को देखा. उत्तर रेलवे (Northern Railways) ने इस कामयाबी को मील का पत्थर बताया है.

Chenab Bridge की दस बड़ी खासियतें...
  1. ये रेलवे पुल, फ्रांस के एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा है कश्मीर के रियासी जिले के दो गांव बक्कल और कौड़ी के बीच बह रही चिनाब नदी पर ये पुल बन रहा है ये ब्रिज 1.3 किमी लंबा है. 
  2. इतने ऊंचे पुल के खंभे बेहद मजबूत हैं. इसलिए पुल के पिलर का बेस 36.5 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा है . यह पुल रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप भी झेल सकता है. 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के तूफान को झेलने में भी सक्षम होगा.
  3. यह नदी तल से 359 मीटर ऊंचाई पर होगा. केंद्र सरकार के शीर्ष पेशेवरों की प्रत्यक्ष निगरानी के तहत बीते एक साल के दौरान पुल का निर्माण कार्य तेज कर दिया गया है. योजना के अनुसार 2022 के अंत तक कश्मीर घार्टी को ट्रेन सेवाओं से जोड़ने का लक्ष्‍य है.
  4. 1.3 किलोमीटर लंबे और 1486 करोड़ की लागत से बने पुल से कश्मीर घाटी के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी. यह ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लिंक प्रोजेक्ट का हिस्सा है.नार्दन रेलवे जनरल मैनेजर आशुतोष गंगल का कहना है कि यह USBRL project भी दो से ढाई साल में पूरा हो जाएगा.
  5. पुल में 28,660 मीट्रिक टन स्टील, 10 लाख क्यूबिक मीटर अर्थवर्क और 66 हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है. स्टील बॉक्सों से बना आर्च से स्थिरता बढ़ेगी.
  6. आर्च का पूरा भार 10,619 मीट्रिक टन होगा. केबल क्रेन द्वारा पहली बार भारतीय रेलवे ने यह आर्च खड़ा करने का काम पूरा किया है.
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  8. 584 किलोमीटर की वेल्डिंग ढांचे के विभिन्न हिस्सों को जोड़ा गया. जितनी दूरी नई दिल्ली से जम्मू तवी की है.भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने पहली बार अल्ट्रासोनिक मशीन और एनएबीएल द्वारा मान्यता प्राप्त लैब का इस्तेमाल वेल्ड टेस्टिंग में किया है. 
  9. इसका एक पायर या ट्रेस्टल हटाने के बाद भी न्यूनतम 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है. डीआरडीओ के सहयोग से इसका डिजाइन तैयार हुआ है. 
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  11. रेल मंत्रालय ने कहा कि आर्च का 5.6 मीटर का आखिरी हिस्सा जोड़ा गया. इससे आर्च के दोनों हिस्से पूरी तरह जुड़ गए, जो चिनाब नदी के दोनों किनारों को जोड़ता है.
  12. आर्च का काम पूरा होने के बाद स्टे केबल्स को हटाने, आर्च रिब में कंक्रीट भरने, स्टील ट्रेस्टल को खड़ा करने और ट्रैक के काम को आगे बढ़ाया जाएगा.
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