कैबिनेट की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गन्ना किसानों को 3,500 करोड़ रुपये की सहायता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सरकार का दावा है कि चीनी मिलों से हज़ारों करोड़ रुपये के बकाया पेमेंट का इंतज़ार कर रहे गन्ना किसानों को राहत मिलेगी. सरकार ने शुगर एक्सपोर्ट पर 3500 करोड़ की सब्सिडी का ऐलान किया है. इस सहायता की राशि को चीनी मिलों की ओर से बकाये के भुगतान के तौर पर सीधे किसानों के खातों में जमा किया जाएगा. शेष राशि, यदि बचेगी तो उसे चीनी मिलों के खाते में जमा कर दिया जाएगा.
दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के बीच कैबिनेट ने ये फैसला किया. सरकार की दलील है कि इससे गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान जल्दी क्लियर करने में सहूलियत होगी. हालांकि सरकार ने ये साफ़ नहीं किया है कि चीनी मिलों की जवाबदेही इस व्यवस्था के दौरान कैसे तय होगी और वो एक्सपोर्ट सब्सिडी इंसेंटिव स्कीम से होने वाले फायदे का कितना हिस्सा गन्ना किसानों को बकाये के तौर पर देंगे.
खाद्य राज्यमंत्री दानवे पाटिल ने 15 सितम्बर, 2020 को मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में दिए लिखित जवाब में कहा था कि चीनी मौसम 2019-20 के दौरान देश में 11 सितम्बर, 2020 तक कुल 12994 करोड़ रुपये का पेमेंट गन्ना किसानों का बकाया था. इसमें से 10000 करोड़ रुपये सिर्फ उत्तर प्रदेश के किसानों का बकाया था.
उधर संकट झेल रहे टेलीकॉम सेक्टर के लिए भी कैबिनट ने एक अहम फैसला किया. अब 2251 MHz के स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी. आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी. 2251 MHz की नीलामी होगी. 3.92 लाख करोड़ की रिज़र्व प्राइस फिक्स की गई है. सरकार को नीलामी से अच्छी कमाई की उम्मीद है.
साफ़ है, आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां बड़ी हो रही हैं और किसानों से लेकर उद्योग जगत तक को राहत देने का दबाव भी.