भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने मंगलवार को कहा कि वैश्विक मोर्चे पर भारत और चीन के बीच गंभीर संघर्ष किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं है. उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से दोनों देशों के बीच लद्दाख में जून से जारी तनाव पर चर्चा के दौरान यह बात कही.
उन्होंने "वैश्विक भू-राजनीति की अनिश्चितताओं और बढ़ती अस्थिरता और "वैश्विक सुरक्षा के लिए प्रमुख शक्तियों के अपर्याप्त योगदान" की ओर भी इशारा किया, और कहा कि इसने चीन को "अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने का अवसर" दे दिया.
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि चीन की हरकतों के पीछे के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है, जो "युद्ध जैसी स्थितियों के लिए प्रशिक्षण" से लेकर "नई संरचना और प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल", या यहां तक कि "एक सैन्य-प्रभुत्व वाला दुस्साहस" तक हो सकता है.
"कोई भी गंभीर संघर्ष चीन के लिए वैश्विक मोर्चे पर अच्छा नहीं है. यदि चीनी आकांक्षाएं वैश्विक हैं, तो एक सीमा विवाद उनकी उस योजना के अनुरूप नहीं है. एयर चीफ मार्शल ने सवालिया लहजे में कहा, इसलिए, उनकी कार्रवाई के संभावित उद्देश्य क्या हो सकते हैं?"
उन्होंने आगे कहा, 'क्या यह मिलिट्री सिग्नलिंग थी या पर्याप्त नियंत्रित कार्रवाई के जरिए कब्जा करने की कोशिश? क्या यह वेस्टर्न थिएटर फोर्सेस की युद्ध जैसी स्थिति में तैनाती और प्रशिक्षण के लिए था, जहां गलवान की घटना अति हो गई? क्या यह अपनी सेना का नई संरचनाओं और प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बनाने में होने वाली कमियों की पहचान कर उन्हें दूर करने के लिए था? या यह सीमा वार्ता शुरू करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से किया गया था?'
उन्होंने कहा कि 'यह भी हो सकता है कि चीनी अपनी छवि खराब होने के डर से भी पीछे ना हट रहे हों.'
वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'किसी भी सूरत में, वास्तव में जो कुछ भी हुआ वो इन सबसे ऊपर है... चाहे उनका शुरुआती उद्देश्य कुछ भी रहा हो. चीन ने अपनी सेना भारी संख्या में एलएसी पर तैनात की है. उनके पास रडार, सतह से हवा में मिसाइल और सतह से हवा में वार करने वाली मिसाइल बड़ी संख्या में हैं.'
उन्होंने जोर देकर कहा कि 'हमने सभी जरूरी कदम उठाए हैं.'
भारत और चीन के बीच लद्दाख में पिछले कई महीनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है और दोनों ही देशों ने लद्दाख में विभिन्न मोर्चों पर करीब 50-50 हजार सैनिकों की तैनाती कर रखी है. भारत ने तो इसी महीने अपने सशस्त्र बलों को 15 दिनों के युद्ध के लिए हथियार और गोला-बारूद स्टॉक करने की अनुमति दे दी थी.
सितंबर के महीने में भारत ने टैंक, भारी हथियार, ईंधन, खाने के सामान अपने सैनिकों के लिए भेज दिए थे ताकि सैनिक प्रचंड ठंढ के मौसम में भी पूरी मुस्तैदी से तैनात रहें.
भारतीय वायुसेना भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास स्थित अग्रिम हवाई ठिकानों पर हाई अलर्ट पर है.