मूलभूत स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं भारत और अमेरिका : वार्ता से पहले बोले अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन

अमेरिकी के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) दो दिन की यात्रा पर भारत आए हुए हैं. इस दौरान वह अफगानिस्तान में तेजी से बदल रही सुरक्षा स्थिति, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना और कोविड-19 के खिलाफ किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा करेंगे.

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एंटनी ब्लिंकन भारत की दो दिवसीय यात्रा पर है...
नई दिल्ली:

अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन की भारत यात्रा के एजेंडे की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने तथा अफगानिस्तान में तेजी से बदल रही सुरक्षा स्थिति पर विमर्श और क्वाड तंत्र के तहत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को विस्तारित करने जैसे विषयों पर गहन चर्चा होगी.

एंटनी ब्लिंकन की यात्रा से जुड़ी खास बातें
  1. वह आज शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. इसके साथ ही वह विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भी बातचीत करेंगे.
  2. वार्ता से पहले नई दिल्ली के एक होटल में सिविल सोसाइटी के लीडर्स से बातचीत में एंटनी ब्लिंकन ने आज जोर देकर कहा कि भारत और अमेरिका लोकतंत्र के मूल आधार माने जाने वाले कानून के शासन और धार्मिक स्वतंत्रता सहित नागरिकों की मूलभूत स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं. भारत और अमेरिका के लोग मानवीय गरिमा, अवसरों में समानता, कानून का शासन, धार्मिक स्वतंत्रता सहित मूलभूत स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं. ये हमारे जैसे लोकतांत्रिक देशों का मूल सिद्धांत हैं.
  3. अमेरिकी विदेशमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद ब्लिंकन की यह पहली और जनवरी में बाइडन प्रशासन के सत्ता में आने के बाद उसके किसी उच्चस्तरीय अधिकारी की तीसरी भारत यात्रा है. उनसे पहले मार्च में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा अप्रैल में जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जॉन केरी ने भारत की यात्रा की थी.
  4. इस यात्रा के दौरान अमेरिका भारत साथ 'साझा लोकतांत्रिक मूल्यों' पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहता है, हालांकि इसके बारे में ज्यादा बताया नहीं गया है. इस साल मार्च में अमेरिकी रक्षा सचिव जनरल लॉयड ऑस्टिन ने 'भारत में लोकतंत्र की बिगड़ती स्थिति' पर चिंता व्यक्त की थी.
  5. अमेरिका ने कहा कि वह भारत के एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और आर्थिक समावेश का क्षेत्र बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में समर्थन करता है. सरकार के सूत्रों ने कहा है कि मानवाधिकार और लोकतंत्र जैसे मुद्दे व्यापक हैं और एक विशेष राष्ट्रीय या सांस्कृतिक दृष्टिकोण से परे हैं.
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