Analysis : नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल दुनिया के लिए क्या मायने रखता है? Experts ने बताया

Election results 2024 : नरेंद्र मोदी को लेकर दुनिया भर के देशों में कौतूहल है. सभी देश लोकसभा चुनाव पर निगाह रखे हुए थे. अब नतीजे आ चुके हैं. कैसा होगा दुनिया के लिए मोदी@3.0...

Advertisement
Read Time: 5 mins
Election result 2024 : एक्सपर्टस की मानें तो नरेंद्र मोदी का कद दुनिया में और बढ़ेगा.

Election results 2024 : नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया में एक अलग छाप छोड़ी है. मोदी भारत को ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में चित्रित करते हैं. एएफपी के अनुसार, एक्सपर्टस का मानना है कि कम संसदीय बहुमत के बावजूद लगातार तीसरा चुनाव जीतने वाले नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों के बीच अधिक पावरफुल होंगे. 73 वर्षीय मोदी दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट पाने के लिए दबाव बना रहे हैं. किंग्स कॉलेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हर्षवी पंत ने कहा, "तीन चुनावी जीत के साथ मोदी वैश्विक स्तर पर सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक होंगे. उन्होंने अपने और भारत के लिए बड़ी महत्वाकांक्षाएं निर्धारित की हैं और इसकी संभावना नहीं है कि वह अपनी विरासत से समझौता करेंगे." मोदी का तीसरा कार्यकाल उनकी एक दशक की कूटनीतिक महत्वाकांक्षाओं को कैसे आगे बढ़ा सकता है? यहां समझें...

Advertisement

अमेरिका और यूरोप से रिश्ते
अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत क्वाड समूह का हिस्सा है. यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती मुखरता के खिलाफ है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले साल राजकीय रात्रिभोज के लिए नरेंद्र मोदी की मेजबानी की थी और नई दिल्ली के साथ वाशिंगटन के संबंधों को "21वीं सदी की निर्णायक साझेदारी" कहा था. फरवरी में, वाशिंगटन ने भारत को अत्याधुनिक ड्रोनों की 4 बिलियन डॉलर की बिक्री को मंजूरी दे दी, जो अपने उत्तरी पड़ोसी के प्रति संतुलन में भारत को मजबूती देती है. अमेरिका और भारत के संबंध और बेहतर होंगे. भारत के यूरोपीय देशों के साथ भी संबंध बढ़ रहे हैं और उसे फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू जेट और स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बियों की बिक्री सहित बहु-अरब डॉलर के रक्षा सौदों का विस्तार करने की उम्मीद है.

चीन के साथ कैसे होंगे संबंध?
Exit Poll आने के बाद चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि मोदी के फिर से सत्ता में आने से दोनों देशों के संबंध अच्छे होंगे. बीजिंग और नई दिल्ली दोनों शंघाई सहयोग संगठन मंच के सदस्य हैं. हालांकि, दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच संबंधों में 2020 में गिरावट तब आई, जब उनके सैनिकों ने उनकी 3,500 किलोमीटर (2,200 मील) सीमा पर अत्यधिक ऊंचाई पर घातक झड़प की. परमाणु संपन्न एशियाई दिग्गजों के हजारों सैनिक एक-दूसरे पर आंखें तरेरते रहते हैं और क्षेत्रीय दावे बढ़ते रहते हैं, लेकिन उनकी प्रतिद्वंद्विता के बावजूद चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. एक वरिष्ठ पूर्व राजदूत, जयंत प्रसाद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच "प्रतिकूल संबंध" कायम रहेंगे. उन्होंने कहा, "भारत अपने दोस्तों के साथ मिलकर चीन की आक्रामकता पर लगाम लगाने की कोशिश करेगा." वहीं राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि चीन पर जल्द खुशखबरी मिल सकती है. जाहिर है वह सीमा विवाद को लेकर बोल रहे थे. अगर ऐसा होता है तो संबंध अच्छे भी हो सकते हैं. 

Advertisement

'ग्लोबल साउथ' पर मुखर रहेंगे मोदी?
नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह नई दिल्ली को "ग्लोबल साउथ की एक मजबूत और महत्वपूर्ण आवाज" कहा, और पिछले साल भारत ने दो "वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ" शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, क्योंकि उसने एशियाई, अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों के प्रतिनिधि के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने की मांग की थी. यह मोदी की देखरेख में ही था कि अफ्रीकी संघ गुट जी20 का स्थायी सदस्य बन गया, भारत का तर्क है कि विकासशील देशों को वैश्विक निर्णय लेने में अधिक भागीदारी की आवश्यकता है. भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले ब्रिक्स क्लब का संस्थापक सदस्य भी है.

Advertisement

रूस से संबंध कैसे रहेंगे?
नई दिल्ली और मॉस्को के बीच शीत युद्ध के समय से संबंध हैं और रूस अब तक भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. नई दिल्ली ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की स्पष्ट निंदा से परहेज किया है, मास्को की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर रोक लगा दी है, और रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति भी कर रहा है. मोदी ने मार्च में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनके दोबारा चुने जाने पर बधाई दी थी और कहा था कि वह उनके "विशेष" रिश्ते को विकसित करने के लिए उत्सुक हैं. जाहिर है, रूस के साथ भारत के संबंध और ऊंचाई पर जा सकते हैं.

Advertisement

पाकिस्तान का क्या होगा?
इस्लामाबाद पर सीमा पार आतंकवाद का आरोप लगाने के बाद से मोदी सरकार ने ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया है. 1947 में उपमहाद्वीप के विभाजन से अलग होने के बाद से दोनों देशों ने तीन युद्ध और कई छोटी झड़पें लड़ी हैं. पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर दोनों देशों में तनाव रहा है. 2015 में मोदी ने पाकिस्तानी शहर लाहौर का अचानक दौरा किया लेकिन 2019 में संबंधों में गिरावट आई. मार्च में, मोदी ने पाकिस्तानी समकक्ष शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद पर लौटने पर बधाई दी. परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के नेताओं के बीच सद्भावना की यह दुर्लभ घटना मानी गई. मगर, इसके बाद संबंधों में कुछ खास नहीं हुआ. अब आगे क्या होगा, इस पर पाकिस्तान सबसे ज्यादा चिंतित है.

Advertisement

भारत की चुनाव प्रणाली की कई देशों ने की सराहना
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड' ने आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बहुमत हासिल करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी और उनके साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई.संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत के लोगों को ‘‘लोकतंत्र की व्यापक प्रक्रिया में'' शामिल होने के लिए बधाई दी.
 

Featured Video Of The Day
Samajwadi Party के MP Ramgopal Yadav के घर भर गया पानी, तो कर्मचारियों ने गोद में लेकर गाड़ी में बैठाया