- लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान अमित शाह और राहुल गांधी के बीच तीखी बहस हुई.
- राहुल गांधी ने पूछा कि चुनाव आयुक्त को पूरी इम्युनिटी दी गई, इसके पीछे क्या वजह थी.
- अमित शाह ने वोट चोरी से जुड़ी सामान्य गलतियों और सुधारों की जानकारी दी.
लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान अमित शाह और राहुल गांधी के बीच तीखी बहस हुई. अमित शाह ने राहुल गांधी के प्रेस कॉफ्रेंस पर जवाब देना शुरू किया तो इस बीच राहुल ने कुछ और सवाल उठा दिए. इस पर अमित शाह भड़क गए और उन्होंने कहा कि मेरे बोलने का क्रम मैं तय करूंगा आप नहीं तय करेंगे. शाह ने कहा कि सही जानकारी देना, जो आरोप लगे उनके जवाब देना उनका दायित्व है. वह अपने हिसाब से बोलेंगे.
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अमित शाह ने कहा कि मैं 30 साल से संसद या विधानसभा में चुनकर आ रहा हूं, ऐसा कभी नहीं हुआ. मेरे बोलने का क्रम मैं तय करूंगा, आप नहीं. इस पर राहुल गांधी ने कहा कि ये डरा और घबराया हुआ रेस्पॉन्स है, ये सही रेस्पॉन्स नहीं है. इस पर शाह ने कहा कि मैं उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ देख रहा हूं कि क्या बोलूंगा. उनके उकसावे में नहीं आऊंगा, अपने क्रम से ही बोलूंगा.
चुनाव आयुक्त को पूरी इम्युनिटी देने के पीछे की वजह क्या?
अमित शाह के भाषण के बीच राहुल गांधी ने सवाल उठाते हुए कहा कि पहली बार डिसीजन लिया गया कि चुनाव आयुक्त को पूरी इम्युनिटी दी जाए. इसके पीछे जो सोच थी वो हमें पहले बताए, हरियाणा की जहां बात हुई इन्होंने एक उदाहरण लिया वहां पर अनेक उदाहरण हैं, 19 लाख वहां फेक वोटर हैं. मेरे प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बहस हो जाए. अमित शाह को मैं चुनौती देता हूं कि आप इस पर बहस हो जाए.
शाह बोले- वोट चोरी क्या है, मैं बताता हूं
शाह ने कहा कि मैं राहुल गांधी के सभी सवालों का जवाब दे रहा हूं. आगे कहा कि जब कोई व्यक्ति एक जगह से दूसरी जगह गया है तो नाम हटाने का अधिकार अधिकारी से वापस ले लिया गया. इसलिए ये परेशानी खड़ी हुई है. ये सामान्य गलतियां हैं. वोट काटने का जिसका अधिकार है उसे रोका गया. SIR से यही सुधरना है. विपक्ष इसे वोट चोरी कर रहा है, मैं बताता हूं वोट चोरी क्या है.
अमित शाह ने वोट चोरी पर लिया इंदिरा गांधी का नाम
अमित शाह ने वोट चोरी का उदाहरण देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी रायबरेली से जीतीं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तय किया कि इंदिरा ने उचित तरीके से चुनाव नहीं जीता, इसे रद्द करते हैं. ये वोट चोरी थी. इसे ढकने के लिए कानून लाया गया कि पीएम के खिलाफ केस नहीं हो सकता है. शाह ने कहा कि अभी-अभी दिल्ली की अदालत में एक डिस्प्यूट पहुंचा है कि सोनिया गांधी इस देश की नागरिक बनने से पहले मतदाता कैसे बन गईं. मैंने इतना कहा है कि अदालत में केस चल रहा है, ये फैक्चुअल है, जवाब तो सोनिया गांधी को अदालत में देना है, वो यहां क्यों दे रहे हैं.
हम जीतने से ज्यादा चुनाव हारे, लेकिन EC पर सवाल नहीं उठाया
अमित शाह ने कहा कि हम जितना चुनाव जीते है उससे ज़्यादा हारे है. हमने चुनाव आयोग पर आरोप नहीं लगाए है. हमलोगों का समय तो विपक्ष में ही चला गया. हमने चुनाव आयोग पर कभी आरोप नहीं लगाए. एक नया पैटर्न खड़ा हुआ. मैं पूरा वाक्य नहीं बताना चाहता, ममता, सतीश, राहुल, खरगे, तेजस्वी यादव, अखिलेश, बी सिवन कुट्टी, सोरेने, मान ने आरोप लगाए. पहले ये मामला केवल कांग्रेस में था लेकिन संपर्क का असर है कि अब सब इंडिया गठबंधन वाले आरोप लगा रहे हैं.यह तटस्थ संस्था है. आप इस पर अर्नगल आरोप लगाकर छवि को धूमिल कर रहे है.
भारत के लोकतंत्र की छवि धूमिल कर रहे
अमित शाह ने आगे कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. संवैधानिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करके और अर्नलगल आरोप करके एक प्रकार से पूरी दुनिया में इसकी छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं, आपको लगता है कि सरकार की छवि धूमिल कर रहे हैं तो ये गलत है, आप दुनिया में भारत के लोकतंत्र की छवि धूमिल कर रहे हैं. ये वोट चोरी वोट चोरी करते रहे और यात्रा निकाली और बिहार में हम दो तिहाई बहुमत से जीते. देश के अंदर चुनाव न जीते तो चुनाव आयोग को बदनाम करो.
चुनाव की चोरी बंद हो गई, इसलिए पेट दर्द हो रहा है
राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमलावर अमित शाह ने कहा कि ये सिर्फ प्रेस में आरोप लगाते हैं. न अदालत जाते हैं न चुनाव आयोग में जाते हैं. अमित शाह ने ईवीएम टेस्टिंग का उदाहरण बताते हुए कहा कि 2017 में चुनाव आयोग फिर इस निर्णय पर पहुंचा कि आने वाला सब चुनाव ईवीएम से होगा. मैं भी थोड़ा जागरूक हूं जब चुनाव आयोग कह रहा कि कुछ नहीं हो रहा है तो मैंने सोचा कि फिर आरोप क्यों लग रहे हैं. मैंने सोचा कि कुछ गलती नहीं है. फिर मुझे याद आया जब इनके जमाने में चुनाव होते थे बिहार और यूपी में चुनाव होती थी तो पूरे बक्से हाईजैक हो जाते थे, ईवीएम आने से ये बंद हो गया, चुनाव की चोरी बंद हो गई है इसलिए पेट में दर्द हो रहा है, ईवीएम का दोष नहीं है, चुनाव जीतने का तरीका जनादेश नहीं था, गलत प्रक्टिस नहीं है, जनादेश से चुनाव नहीं जीत पा रहे हैं.













