राज्यसभा में अमित शाह.
- राज्यसभा के मानसून सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया.
- विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी को सदन में आकर जवाब देने की मांग की, जिसे अमित शाह ने अस्वीकार किया.
- अमित शाह ने ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकियों के मारे जाने की जानकारी देते हुए लश्कर-ए-तैयबा का लिंक बताया.
Amit Shah in Rajya Sabha: संसद के मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा चल रही है. बुधवार शाम राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. अमित शाह के संबोधन के दौरान विपक्ष सांसद पीएम मोदी से जवाब की मांग कर रहे थे. इस मांग के साथ विपक्ष के कई सदस्य नारेबाजी करते रहे. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि मुझसे निपट लो, काहे को प्रधानमंत्री जी को बुला रहे हो.
पीएम के जवाब को लेकर खूब हुई नारेबाजी
अमित शाह के संबोधन के दौरान पीएम के जवाब को लेकर खूब नारेबाजी हुई. इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 16 घंटे ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा रखी गई थी. हमने कई सवाल उठाए, जिनके जवाब नहीं आए. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पीएम को अपनी बातें रखनी चाहिए. खरगे ने यह भी कहा कि पीएम का यहां न आना सदन का अपमान है.
पीएम के जवाब को लेकर चल रही नारेबाजी पर अमित शाह ने कहा, पीएम मोदी को ज्यादा सुनने का शौक है? मेरे से निपट रहा है तो काहे को प्रधानमंत्री जी को बुला रहे हो. और तकलीफ होगी. ये समझते नहीं है साहब.
विपक्ष की मांग और स्टैंड दोनों उचित नहींः अमित शाह
खरगे सहित अन्य विपक्षी सदस्यों की आपत्ति के बाद अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा- ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकी मारे गए गए. अमित शाह ने यह कहा कि विपक्ष की मांग और स्टैंड दोनों उचित नहीं है. क्योंकि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में यह फैसला लिया गया था कि चर्चा आप जितना चाहोगे, उतना करेंगे. लेकिन जवाब कौन देगा, यह सरकार तय करेगी. प्रधानमंत्री तय करेंगे.
विपक्ष के वॉकआउट पर अमित शाह का तंज
विपक्ष के वॉकआउट पर अमित शाह ने कहा, मुझे मालूम है ये क्यों जा रहे हैं? इतने साल तक वोट बैंक प्रोडेक्ट करते रहे. ये लोग यह चर्चा सुन ही नहीं सकते. ज्यादातर महत्वपूर्ण मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी उनके लीडर ऑफ अपोजिशन को बोलने ही नहीं देती और मुद्दा उठा रहे हैं कि पीएम जवाब नहीं दे रहे हैं.
ऑपरेशन महादेव पर क्या कुछ बोले अमित शाह
अमित शाह ने अपने संबोधन की शुरुआत ऑपरेशन महादेव से की. उन्होंने कहा कि परसो ही बहुत लंबे समय से चल रहे एक ऑपरेशन का अंत हुआ. इस ऑपरेशन के तहत तीन आतंकी सुलेमान उर्फ फैजल, अफगान और ज्रिबान को हमारे सुरक्षा बलों ने मौत के घाट उतारा. सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का ए ग्रेड आतंकी था. पहलगाम के हमले में उसके ही राइफल से गोली चली थी. अफगान भी ए ग्रेड का आतंकी था. ज्रिबान भी उच्च श्रेणी का आतंकी था. इससे स्पष्ट हो गया कि पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था.
आतंकी और उन्हें भेजने वाले दोनों मारे गएः अमित शाह
अमित शाह ने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय छिन्न-भिन्न हो गया. आतंकियों को भेजने वाले और लोगों को गोली मारने वाले दोनों मारे गए. ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव से दोनों का अंत हुआ. पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी TRF ने ली थी.
अमित शाह ने आगे कहा कि जिस दिन यह घटना हुई, मैं वहां पहुंच गया था. वहां सुरक्षाबलों के साथ मीटिंग हुई. मीटिंग में यह तय हुआ कि जिन आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया, उन्हें पकड़िए. साथ ही यह भी निर्देश दिया गया कि आतंकी पाकिस्तान न भागे, इसका पूरा ध्यान रखें. गृह मंत्री ने कहा कि इसी सख्ती का असर हुआ कि 100 दिन बाद भी तीनों आतंकी मारे गए.
एनआईए की जांच में साफ हुआ, मारे गए आतंकी पहलगाम के ही गुनाहगार
गृह मंत्री ने आगे कहा कि जिस दिन पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, वहां से एनआईए ने खाली कारतूसों को लिया. ऑपरेशन सिंदूर में जब ये मारे गए तो उनके पास से बरामद हथियार और कारतूसों की जांच हुई. जांच में यह साबित हुआ कि आतंकियों से जो हथियार और कारतूस मिले उसका पहलगाम हमले से बरामद हथियारों का मिलान हुआ. इससे इस पूरे मामले में कोई शक नहीं बचा.