चीन की दोस्ती में डूबे मालदीव को क्यों आई भारत की याद? जानें विदेश मंत्री मूसा ज़मीर के दौरे के पीछे की कहानी

मोहम्मद मुइज्जू ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मालदीव के विकास के लिए खुलकर मदद की अपील की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि मुइज्जू ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने और पुराने सहयोग को फिर से बहाल करने के लिए अपने विदेश मंत्री को नई दिल्ली भेजा है. ताकि तनाव से आई दूरियों को पाटा जा सके.

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मालदीव के विदेश मंत्री बनने के बाद ये मूसा जमीर का पहला भारत दौरा है.
नई दिल्ली:

भारत के साथ चल रहे तनाव (Maldives-India Dispute) और राजनयिक गतिरोध के बीच गुरुवार (9 मई) को मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर पहली बार भारत दौरे पर आए हैं. नई दिल्ली में मूसा (Moosa Zameer)और उनके भारतीय समकक्ष डॉ. एस जयशंकर (S. Jaishankar) से मुलाकात हुई. दोनों दिग्गजों ने इस दौरान द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. मूसा ज़मीर के भारत दौरे को कई मायनों में खास माना जा रहा है. 6 महीने पहले मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) ने मालदीव के राष्ट्रपति की शपथ ली थी. राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने 'इंडिया आउट' का कैंपेन चलाया था. मुइज्जू जितने भारत विरोधी हैं, उतने ही चीन के समर्थक भी. हाल ही में मालदीव और चीन के बीच कई अहम समझौते भी हुए हैं. आइए समझते हैं कि चीन की यारी के बीच आखिर मोहम्मद मुइज्जू को भारत की याद क्यों आई? आखिर तनाव के बीच वहां के विदेश मंत्री के भारत दौरे की क्या वजह है? 

मोहम्मद मुइज्जू ने बीते साल नवंबर में मालदीव के राष्ट्रपति का पदभार संभाला. उनका रुख हमेशा से भारत विरोधी रहा है. मुइज्जू ने 'इंडिया आउट' कैंपेन के साथ ही भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़ने को कहा था. इसके लिए 10 मई तक की डेडलाइन दी गई थी. जिसके बाद भारत ने भी अब तक अपने 51 सैनिकों को वापस बुला लिया है. मुइज्जू के भारत विरोधी रुख और उनके फैसलों के खिलाफ भारत में भी बॉलीवुड स्टार्स और सेलेब्स ने मालदीव का बॉयकॉट किया था. जिसके बाद वहां का टूरिज्म बैठ गया. नतीजतन इकोनॉमी में ब्रेक लग गया. लगता है अब मुइज्जू को अपनी गलती का अहसास हो हुआ है. 

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भारत-मालदीव के बीच दूरियां पाटने की कोशिश
दरअसल, मालदीव से विवाद बढ़ने के बाद जहां भारतीयों और सेलेब्स ने मालदीव का बॉयकॉट किया और बुकिंग कैंसिल कर दी. वहीं, भारत ने भी मालदीव को सहयोग देना बंद कर दिया. इससे मालदीव की हालत खस्ता होने लगी. रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में मुइज्जू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मालदीव के विकास के लिए खुलकर मदद की अपील की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि मुइज्जू ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने और पुराने सहयोग को फिर से बहाल करने के लिए अपने विदेश मंत्री को नई दिल्ली भेजा है. ताकि तनाव से आई दूरियों को पाटा जा सके. 

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भारत से रिश्ते को मजबूत बनाने पर दिया जोर
दिल्ली पहुंचते ही मूसा जमीर ने X पर पोस्ट किया और भारत से रिश्ते को मजबूत बनाने पर जोर दिया. मूसा ने कहा, "मैं भारत की अपनी पहली द्विपक्षीय आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली आया हूं. मैं भारत के साथ प्रोडक्टिव  बातचीत के साथ दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने और भारतीय संस्कृति का जीवंत अनुभव करने के लिए उत्सुक हूं."

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हम भारत के साथ बहुत अच्छे रिश्ते बनाने को इच्छुक- मूसा
अपने पहले भारत दौरे को लेकर मूसा जमीर कहते हैं, "यह एक अच्छी यात्रा थी. मेरा बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया गया. मेरे समकक्ष एस जयशंकर और मेरे बीच सकारात्मक बातचीत हुई. मैं वास्तव में भारत सरकार और विदेश मंत्रालय को धन्यवाद देता हूं...1965 में जब मालदीव आजाद हुआ था, तो भारत उन देशों में शामिल था, जिसने हमें मान्यता दी थी. इन सालों में हमने संबंध मजबूत किए हैं. मुझे लगता है कि हमारे बीच एक बहुत ही अच्छा और गहरा रिश्ता है. इससे दोनों देश को फायदा हो सकता है. हम भारत के साथ बहुत अच्छे रिश्ते बनाना चाहते हैं. हम हमारे रिश्ते को गहरा करना चाहते हैं, ताकि इससे मालदीव और भारत दोनों देशों के लोगों को फायदा मिले."

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जयशंकर बोले-भारत हमेशा नेबर फर्स्ट पॉलिसी का समर्थक
दोनों नेताओं के बीच द्वपक्षीय बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "भारत हमेशा नेबर फर्स्ट पॉलिसी पर चलता है. दोनों देशों के रिश्ते आपसी हितों पर टिके हैं. भारत विकास के मामले में मालदीव को सहयोग करने वाले अहम देशों में शामिल है." विदेश मंत्री मे कहा, "हमारे कई प्रोजेक्ट्स से मालदीव के लोगों को फायदा पहुंचा है. भारत ने कई मौके पर मालदीव को वित्तीय मदद भी दी है." 

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कैसे बढ़ा था मालदीव-भारत के बीच विवाद?
मालदीव से बिगड़ते रिश्तों के बीच प्रधानमंत्री मोदी 2 जनवरी को लक्षद्वीप दौरे पर गए. उन्होंने लोगों से अपील की थी कि मालदीव जाने के बजाय एक बाद लक्षद्वीप जरूर जाएं और यहां की खूबसूरती देंखे. लक्षद्वीप की तुलना मालदीव से करने पर वहां के मंत्रियों ने पीएम मोदी का मजाक उड़ाया था. भारत के तमाम बॉलीवुड स्टार्स और सेलिब्रिटी से लेकर केंद्रीय मंत्रियों ने इसका विरोध जताया था. इसके बाद मालदीव के मंत्रियों को इस्तीफा तक देना पड़ा था. मालदीव के विरोध के बाद अब भारतीयों ने मालदीव का बॉयकॉट कर दिया था.

इसी दौरान मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के दौरे पर गए. वहां से वापस लौटकर उन्होंने अकड़ दिखाई. उन्होंने कहा कि कोई देश उन्हें धमका नहीं सकता. मुइज्जू ने मालदीव का समर्थन करने के लिए चीन के लोगों से उनके देश घूमने आने की अपील की.

टूरिज्म को कैसे और कितना हुआ नुकसान?
दरअसल, मालदीव की इकोनॉमी पूरी तरह से टूरिज्म पर खड़ी है. यहां का टूरिज्म भी भारत पर निर्भर है. क्योंकि मालदीव हमेशा से ही बॉलीवुड स्टार्स, सेलेब्स और भारतीयों का फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन रहा है. लेकिन भारत विरोधी बयानों और पीएम मोदी को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद भारतीयों ने मालदीव में अपनी बुकिंग्स कैंसिल कर दी और ज्यादा से ज्यादा लोग वेकेशन के लिए लक्षद्वीप पहुंचने लगे. इससे लक्षद्वीप का टूरिज्म बढ़ने लगा. वहीं, मालदीव के टूरिज्म को नुकसान होने लगा.

मालदीव सरकार की कुल कमाई का एक बड़ा हिस्सा टूरिस्ट से आता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के बॉयकॉट के बाद मालदीव को कम से कम 400 करोड़ के आसपास का नुकसान हुआ है.

मुइज्जू ने क्यों भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़ने को कहा?
पिछले साल सितंबर में मालदीव में आम चुनाव हुए. मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी ने भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चुनाव में 'इंडिया आउट' अभियान चलाया था. मुइज्जू ने खुद 'इंडिया आउट' लिखी टी शर्ट पहन कर चुनाव प्रचार किया था. उन्होंने कहा था कि अगर राष्ट्रपति बन गए, तो भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़कर जाने को कहा जाएगा. चुनाव जीतने के 2 दिन बाद ही मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़ने का आदेश जारी कर दिया.

भारतीयों सैनिकों की वापसी पर क्या बोले मूसा?
मालदीव से भारतीयों सैनिकों की वापसी और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर मूसा जमीर ने कहा, "मुझे लगता है कि मालदीव-भारत रक्षा संबंध सैन्य कर्मियों से परे हैं. अब तक जिस प्लेटफॉर्म को सैन्य कर्मियों ने संभाला है, उसे नागरिक संभालेंगे. हमने मालदीव की सेना, भारतीय सेना और श्रीलंका के साथ एक संयुक्त अभ्यास किया है. मुझे लगता है कि बांग्लादेश भी एक ऑब्जर्वर है. लिहाजा हम आगे भी ये अभ्यास जारी रखना चाहेंगे." उन्होंने कहा, "हिंद महासागर की शांति और सुरक्षा मालदीव दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए हम भारत के साथ हिंद महासागर को एक शांतिपूर्ण स्थान बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे."

बता दें कि मालदीव सरकार की पिछले प्रावधानों के मुताबिक, वहां के दो हेलिकॉप्टर्स और एक डॉर्नियर एयरक्राफ्ट के ऑपरेशन के लिए 88 भारतीय सैनिक तैनात थे. इनमें से 51 सैनिक वापस आ गए हैं.

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