अमरनाथ से वापसी यात्रा की उल्टी गिनती शुरू, सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

जम्मू-कश्मीर सरकार ने अमरनाथ यात्रा मार्ग को अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है. केंद्र शासित प्रदेश के गृह विभाग ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को निर्देशित किया है कि वे यात्रा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, पिछले आतंकी हमलों के पैटर्न और मौजूदा खुफिया सूचनाओं के आधार पर लगातार निगरानी बनाए रखें.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

ऑपरेशन सिंदूर के खत्म होने के साथ ही अमरनाथ से वापसी यात्रा की उलटी गिनती शुरू हो गई है. पवित्र गुफा की यह वार्षिक तीर्थयात्रा 3 जुलाई से बालटाल और पहलगाम दोनों मार्गों से शुरू होगी, जबकि श्रद्धालुओं का पहला जत्था 2 जुलाई को जम्मू से रवाना किया जाएगा. करीब 14,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हिमलिंग के पहले दर्शन भी 3 जुलाई को ही होंगे. इस वर्ष वापसी यात्रा अत्यधिक संवेदनशील माहौल में आयोजित हो रही है. केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां किसी भी प्रकार का जोखिम उठाना नहीं चाहती हैं. किसी भी प्रकार की चूक न होने देने के सख्त निर्देश जारी किए हैं. सुरक्षा बलों के अनुसार, दक्षिण कश्मीर में सक्रिय अधिकांश आतंकियों को मार गिराया गया है और ऑपरेशन क्लीन के तहत यात्रा मार्ग को सुरक्षित घोषित किया गया है. हालांकि, हाइब्रिड आतंकवाद अभी भी एक अदृश्य खतरे के रूप में मौजूद है.

ड्रोन हमला और स्टिकी बम: दोहरी चुनौती

खुफिया इनपुट्स में आशंका जताई गई है कि आतंकी संगठन ड्रोन के माध्यम से अमरनाथ यात्रियों अथवा सुरक्षा बलों को निशाना बना सकते हैं. इसी खतरे को भांपते हुए सुरक्षा बलों ने यात्रा मार्ग पर रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर तैनात किए गए हैं और सैकड़ों की संख्या में सुरक्षा ड्रोन भी हमलावर ड्रोनों का मुकाबला करने के लिए तैयार किए गए हैं, जो 1 जुलाई से लगातार गश्त करेंगे. सुरक्षा एजेंसियां को स्टिकी बमों के खतरे से भी जूझना पड़ा सकता है और चूंकि ऐसे विस्फोटकों को वाहनों से चिपकाया जा सकता है, इसलिए सभी वाहन चालकों को सख्त हिदायत दी गई है कि वे हर बार वाहन चालू करने से पहले उसकी पूरी तरह जांच करें. इसके अलावा आईईडी की पहचान के लिए लगभग 60 श्वान दस्ते (डॉग स्क्वाड) भी तैनात किए गए हैं.

आतंकी निशाने पर अमरनाथ यात्रा

अमरनाथ यात्रा, जो अब एक वैश्विक पहचान प्राप्त कर चुकी है, आतंकियों के लिए एक प्रमुख और प्रतीकात्मक लक्ष्य बन गई है. एक ओर जहां तीर्थयात्रियों की आस्था चरम पर है, वहीं दूसरी ओर यात्रा को पर्यटन उत्पाद के रूप में बदलने की कोशिशों को लेकर सुरक्षा विशेषज्ञों ने चिंता जताई है. विशेषज्ञों का मानना है कि धार्मिक यात्रा को ‘पर्यटन बाजार' बनाने की कोशिशें इसे एक सॉफ्ट टारगेट में तब्दील कर सकती हैं, जिससे सुरक्षा जोखिम और बढ़ जाते हैं.

Advertisement

यात्रा मार्ग अत्यधिक संवेदनशील घोषित

जम्मू-कश्मीर सरकार ने अमरनाथ यात्रा मार्ग को अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है. केंद्र शासित प्रदेश के गृह विभाग ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को निर्देशित किया है कि वे यात्रा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, पिछले आतंकी हमलों के पैटर्न और मौजूदा खुफिया सूचनाओं के आधार पर लगातार निगरानी बनाए रखें.

Advertisement

राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा एजेंसियां एकीकृत मुख्यालय से प्राप्त खुफिया सूचनाओं को आपस में अविलंब साझा करें, ताकि किसी भी संभावित आतंकी हमले को समय रहते रोका जा सके. सेना, पुलिस और अन्य केंद्रीय बलों को आपसी समन्वय से काम करने के निर्देश दिए गए हैं.

Advertisement

कुल मिलाकर इस बार अमरनाथ यात्रा न केवल आध्यात्मिक आस्था की अभिव्यक्ति है, बल्कि यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक रणनीतिक चुनौती भी बन गई है. आतंकवाद के बदलते स्वरूप और तकनीकी खतरों के बीच यह देखना बेहद मह्त्वपूर्ण होगा कि श्रद्धा और सुरक्षा का संतुलन किस तरह बेहतर बनाया जा सकता है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
IndiGo Flight Emergency Landing: बम की धमकी के बाद Kochi से Delhi जा रही फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग