अमरनाथ गुफा के पास राहत और बचाव अभियान शनिवार रात भी जारी रहा, इस दौरान और कोई शव नहीं मिला है. लापता लोगों की तलाश जारी है. जेसीबी मशीन से भी खुदाई की जा रही है ताकि कोई मलबे में दबा हो तो उसे निकाला जा सके. बता दें कि 8 जुलाई शाम को करीब 5 बजे अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से अचानक सैलाब आ गया था, जिसके चलते अब तक 16 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है और करीब 40 लोग लापता बताए जा रहे हैं.
बालटाल से लेकर पवित्र गुफा तक राहत और बचाव अभियान जारी है. लापता लोगों की तलाश के लिये खोजी कुत्ते की मदद ली जा रही है. जमीन के अंदर कोई दबा है उसे खोजने के लिये रडार और दूसरे उपकरण की मदद से भी तलाशी अभियान जोरों पर चलाया जा रहा है. सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और पुलिस के जवान दिन रात लगे हुए हैं.
बेस कैंप से यात्रियों को आगे बढ़ने पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी गई है. यह रोक पहलगाम और बालटाल से यात्रियों के जत्था के गुफा की ओर जाने पर भी लगी है. फिलहाल मलबे में दबे लोगों की जिंदगी की तलाश जारी है.
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श्रद्धालुओं को रास्ते खुलने का इंतजार
बहुत से श्रद्धालु हैं जो बालटाल बेस पर यात्रा के फिर से शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. रास्ते पर रिपेयरिंग का काम चालू है. हालांकि, काम पूरा होने में अभी कुछ वक्त है, जिसके बाद ही यह वापस शुरू हो पाएगी. पुणे से आए श्रद्धालु कुंदन नायक ने बताया, "हम दो दिनों से यहीं कैंप पर इंतजार कर रहे हैं. मेरा रजिस्ट्रेशन आज के लिए है, लेकिन बादल फटने से यात्रा रुक गई है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, लेकिन हम आशा कर रहे हैं कि यात्रा जल्द ही शुरू हो जाएगी, तब तक हम यहीं रुकेंगे. दर्शन करके ही जाएंगे."
पंजाब से आए आयुष ने बताया कि वो रास्ता खुलने के बाद बिना दर्शन किए ही वापस लौट जाएंगे. भठिंडा से आने वाले डॉक्टर देवराज ने कहा कि उन्हें प्रशासन में पूरा भरोसा है कि रास्ता फिर से शुरू हो जाएगी.
बता दें कि यह 43 दिवसीय वार्षिक अमरनाथ तीर्थयात्रा 30 जून को दो मार्गों से शुरू हुई. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग के पहलगाम में नुनवान से 48 किलोमीटर का पारंपरिक मार्ग है और दूसरा मध्य कश्मीर के गांदेरबल जिले में बालटाल मार्ग 14 किलोमीटर छोटा है. अब तक एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गुफा मंदिर में पूजा की है. यह यात्रा 11 अगस्त को रक्षा बंधन के अवसर पर समाप्त होने वाली है.