उत्तरकाशी टनल से निकाले गए सभी श्रमिक स्वस्थ, अपने घर जा सकते हैं: AIIMS ऋषिकेश 

एम्स के जनरल मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. रविकांत ने बताया कि श्रमिकों का गहन परीक्षण किया गया और उनकी रक्त जांच, ईसीजी और एक्स-रे रिपोर्ट सामान्य आयी हैं.

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Uttarakhand Tunnel Update:
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  • सभी श्रमिक चिकित्सकीय जांच में स्वस्थ पाए गए
  • कई श्रमिक अपने घरों के लिए हुए रवाना
  • श्रमिकों में सबसे ज्यादा 15 झारखंड के रहने वाले हैं
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ऋषिकेश:

उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) से निकाले गए सभी 41 श्रमिक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश में हुई चिकित्सकीय जांचों में स्वस्थ पाए गए. एम्स प्रशासन ने यहां मीडिया को बताया कि सभी श्रमिक चिकित्सकीय जांच में स्वस्थ पाये गये हैं और उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी गयी है. जिसके बाद कई श्रमिक अपने घरों के लिए रवाना हो गए हैं. 

एम्स के जनरल मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. रविकांत ने बताया कि श्रमिकों का गहन परीक्षण किया गया और उनकी रक्त जांच, ईसीजी और एक्स-रे रिपोर्ट सामान्य आयी हैं. उन्होंने कहा, ‘‘वे शारीरिक रूप से स्वस्थ और चिकित्सकीय रूप से स्थिर हैं. हमने उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी है.''

डॉ. रविकांत ने बताया कि उत्तराखंड का निवासी एक श्रमिक ह्रदय संबंधी रोग से पीड़ित पाया गया है और फिलहाल उसे अस्पताल में ही रोका गया है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि चंपावत जिले के रहने वाले पुष्कर सिंह ऐरी की इस समस्या का सुरंग हादसे से कोई संबंध नहीं है और उन्हें यह बीमारी जन्म से है.

डॉक्टर ने बताया कि श्रमिक में एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) की समस्या पाए जाने के बाद उन्हें आगे की जांच के लिए आपदा वार्ड से कार्डियोलॉजी विभाग में शिफ्ट कर दिया गया है .

उत्तकाशी में निर्माणाधीन टनल ढहने से फंस गए थे 41 श्रमिक
चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन साढ़े चार किलोमीटर लंबी उत्तकाशी सुरंग (Uttarkashi Tunnel ) का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे उसमें 41 श्रमिक फंस गए थे. लगातार युद्धस्तर पर केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा चलाए गए बचाव अभियान के 17 वें दिन मंगलवार रात उन्हें बाहर निकालने में सफलता मिली थी.सुरंग से बाहर निकालने के बाद गहन स्वास्थ्य परीक्षण के लिए बुधवार को उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था .

घर जाने के बाद भी  एम्स से श्रमिकों का संपर्क बना रहेगा
डॉ. रविकांत ने बताया कि श्रमिक इतने लंबे समय तक सुरंग में रहे हैं इसलिए इन्हें वातावरणीय अनुकूलन की जरूरत है जो कुछ दिनों में हो जाएगा. यहां से छुट्टी होने के बाद भी इन श्रमिकों का एम्स से संपर्क बना रहेगा और इनके स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखी जाएगी. उन्होंने बताया कि इसके लिए श्रमिकों के मोबाइल नंबर ले लिए गये हैं. श्रमिकों के गृह राज्यों के मेडिल कॉलेज व अस्पताल से भी संपर्क कर इनके बारे में बता दिया गया है.

उन्होंने कहा कि श्रमिकों को दो सप्ताह बाद अपने निकटवर्ती अस्पताल में जाकर चिकित्सा जांच कराने की सलाह दी गयी है.

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स्क्रीनिंग में सभी श्रमिक यात्रा करने के लिए स्वस्थ
डॉ. रविकांत ने कहा, ‘‘श्रमिकों के अंगों की स्क्रीनिंग के आधार पर हम कह सकते हैं कि ये सभी यात्रा करने के लिए स्वस्थ हैं. सुरंग में फंसे होने के दौरान इनको भोजन ठीक तरह से उपलब्ध कराया गया और अच्छी देखभाल हुई जिसके कारण भुखमरी का कोई मामला नहीं है. इनमें से ज्यादातर युवा या मध्यम आयुवर्ग के हैं और इसके कारण भी उन्हें स्वस्थ रहने में मदद मिली.''

आज या कल तक हो जाएगी श्रमिकों की घर वापसी
अस्पताल से जाने की अनुमति मिलने के बाद श्रमिकों को उनके घर भेजे जाने के प्रबंधन में लगे देहरादून के अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा ने बताया कि उनकी जल्द वापसी सुनिश्चित की जा रही है.उन्होंने बताया कि श्रमिकों के गृह राज्यों के नोडल अधिकारी लगातार स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हैं और आज या कल तक उनकी घर वापसी हो जाएगी.

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देहरादून की जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने के लिए उनकी सुविधा के अनुसार सड़क मार्ग, रेलमार्ग या हवाई मार्ग से भेजने की व्यवस्था की जा रही है .

सबसे ज्यादा 15 झारखंड के श्रमिक
श्रमिकों में सबसे ज्यादा 15 झारखंड के रहने वाले हैं, जबकि आठ उत्तर प्रदेश, पांच-पांच ओडिशा और बिहार, पश्चिम बंगाल के तीन, दो-दो उत्तराखंड और असम तथा एक हिमाचल प्रदेश का निवासी है. एम्स में मौजूद झारखंड के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के श्रमिकों को हवाई जहाज से ले जाया जाएगा.

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उधर, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने भी एम्स ऋषिकेश पहुंचकर श्रमिकों का हालचाल जाना और उनके साहस व हौसलों की सराहना की. मीडिया से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा कि श्रमिकों के मनोबल, उनके परिजनों के धैर्य तथा बचाव अभियान में शामिल सभी एजेंसियों और कार्मिकों की अथक मेहनत के बाद यह चुनौतीपूर्ण अभियान सफल हो पाया.उन्होंने कहा कि इन 41 श्रमवीरों ने हमें सबक दिया है कि किस भी तरह की मुश्किल घड़ी में अपने आप पर नियंत्रण रखें और अपने हौसला न टूटने दें. इसके साथ ही हमें यह भी बताया है कि हमारे मानव संसाधन बहुत ऊंचे दर्जे के हैं.

इस बीच, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम की ओर से सुरंग का निर्माण करने वाली ‘नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड' ने सुरंग में फंसे रहे प्रत्येक श्रमिक को आर्थिक सहायता के रूप में दो-दो लाख रुपये का चेक देने तथा उनके डयूटी पर लौटने पर दो माह का वेतन बोनस के रूप में देने की घोषणा की है .कंपनी के मानव संसाधान विभाग के प्रमुख राजीव ने बताया कि कंपनी ने सुरंग में फंसे प्रत्येक कर्मचारी, चाहे वह किसी भी कैडर या पद पर हो, दो—दो लाख रुपये का मुआवजा दिया है . उन्होंने कहा कि प्रबंधन ने मौके पर मौजूद सभी कर्मचारियों को दो माह का वेतन बोनस के तौर पर देने का भी निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि हमने अपने सभी कर्मचारियों से काम पर लौटने से पहले कुछ दिन आराम करने की भी सलाह दी है . 
 

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