अवधेश के सहारे भविष्य की राजनीति साध रहे हैं अखिलेश यादव ? ये तस्वीरें काफी कुछ कहती हैं

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. इन दिनों अवधेश प्रसाद को अपने साथ ज्यादातर समय रखना कोई संयोग नहीं बल्कि उनकी वो रणनीति है जिसके तहत वह एक तीर से दो शिकार करने की तैयारी में है.

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नई दिल्ली:

राजनीति में टाइमिंग का एक अलग ही महत्व होता है, अगर आप समय पर सही फैसला ले गए तो आप वो सब कर सकते हैं जिसके बारे में कई लोगों ने पहले सोचा तक हो. बीते कुछ समय से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी राजनीति के अखाड़े में ऐसे ही कई दांव आजमाते नजर आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव के बाद से वो जब भी मीडिया के सामने आते हैं तो उनके साथ ज्यादातर समय पर फैजाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद नजर आते हैं. आम चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही उनकी जितनी भी तस्वीरें सामने आई हैं उनमें से ज्यादातर तस्वीरों में वह पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद के साथ ही दिखे हैं. चाहे बात लोकसभा के अंदर की हो या फिर पार्टी के बैठकों की. अवधेश प्रसाद ज्यादातर मौकों पर अखिलेश यादव अगल बगल ही नजर आते हैं. हालांकि, किसी भी पार्टी के सांसद के लिए अपनी पार्टी के मुखिया के साथ होना या लगातार साथ दिखना, सामान्य तौर पर किसी को अचंभित नहीं करता है. लेकिन अवधेश और अखिलेश के मामले ये कई मायनों में खास है. ये कोई सामान्य सी घटना नहीं बल्कि भविष्य की राजनीति को साधने की योजना का एक हिस्सा जरूर मालूम पड़ता है.

चलिए इससे पहले की हम आपको अखिलेश यादव और अवधेश प्रसाद के एक साथ दिखने की कुछ और वजहों के बारे में बताएं. इससे पहले हम ये जान लेते हैं कि आखिर अवधेश प्रसाद हैं कौन? अवधेश प्रसाद फैजाबाद के मौजूदा सांसद हैं. उन्होंने बीते दिनों हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया था. अवधेश प्रसाद ने अपनी इस जीत के बाद खासी सुर्खियां बंटोरी. सुर्खियों में आने की वजह से सिर्फ चुनाव जीतना नहीं था. बल्कि प्रमुख वजह थी बीजेपी को अयोध्या (जो फैजाबाद के तहत ही आता है) में हराना. उस अयोध्या में जहां बीजेपी ने चुनाव से कुछ महीने पहले ही राम मंदिर का उद्घाटन किया था. और वो इस उम्मीद में थी कि उसे इसकी वजह से (राम मंदिर) अयोध्या के साथ-साथ पूरे देश में अपार समर्थन मिलेगा. ऐसे में बीजेपी को अयोध्या में ही हराना कोई छोटी मोटी बात नहीं थी. 

अवधेश के सहारे बड़ा PDA रणनीति को साध रहे अखिलेश !

लोकसभा चुनाव से पहले ही समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव राज्य में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) समुदाय के वोटरों को अपनी तरफ करने पर जोर दे रहे थे. उनकी इस रणनीति को अब मूर्तरूप देने में फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद एक अहम भूमिका निभा सकते हैं. आपको बता दें कि अवधेश प्रसाद खुद अनुसूचित जाति के पासी समुदाय से आते हैं. ऐसे में अयोध्या में उनकी जीत से आने वाले चुनावों में इस समुदाय में समाजवादी पार्टी के प्रति छुकाव बढ़ सकता है. ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद पर जो दांव खेला था वो अब सफल होता नजर आएगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि फैजाबाद की यह सीट एक जनरल सीट है. लेकिन इस सीट पर अखिलेश यादव ने एक रणनीति के तहत ही दलित को अपना उम्मीदवार बनाया था. और वो यहां ये चुनाव जीत गए. यानी अखिलेश की रणनीति पूरी तरह से सफल साबित हुई. 

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एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं अखिलश 

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. इन दिनों अवधेश प्रसाद को अपने साथ ज्यादातर समय रखना कोई संयोग नहीं बल्कि उनकी वो रणनीति है जिसके तहत वह एक तीर से दो शिकार करने की तैयारी में है. अवधेश प्रसाद फैजाबाद से सांसद हैं यानी वो फैजाबाद जिसके तहत अयोध्या का इलाका भी आता है. वही अयोध्या जहां भव्य राम मंदिर है. ऐसे में अयोध्या में अब से जो भी विकास कार्य होंगे उसके लिए वहां के सांसद यानी अवधेश प्रसाद भी जिम्मेदार बताए जाएंगे. और ये राम भक्तों के साथ-साथ अयोध्यावासियों को अपनी पार्टी के पक्ष में करने का एक सुनहरा अवसर होगा. वहीं, दूसरी तरफ अवधेश प्रसाद जिस जाति से आते हैं, वो अनुसूचित जाति के तहत आता है. अवधेश जितना राजनीति के मुख्यधारा में अखिलेश के साथ दिखेंगे उतना ही उस वर्ग और उस जाति से आने वाले लोगों का सम्मान बढ़ेगा. और ऐसा हुआ तो समाजवादी पार्टी का जनाधार और बढ़ेगा. यानी ये तो साफ है कि अखिलेश यादव अवधेश के सहारे भविष्य की संभावनाओं को अभी से ही साधने में जुट गए हैं. 

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1957 के बाद पहली बार मिला कोई SC उम्मीदवार बना है सांसद

फैजाबाद लोकसभा सीट का चुनाव परिणाम कई नए ऐतिहासिक रिकॉर्ड के लिए भी याद किया जाएगा. इस सीट से जीतकर संसद पहुंचने वाले अवधेश प्रसाद 1957 के बाद पहले ऐसे सांसद हैं जो अनुसूचित जाति से आते हैं. इस चुनाव में बीजेपी ने खासतौर पर फैजादाबाद में राम मंदिर के नाम पर वोट मांगने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन इसके बावजूद भी जनता ने उसे नकार दिया. 

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