दिल्ली में अफ़ग़ानिस्तान पर हो रहे रीजनल सिक्योरिटी डायलॉग में आने से चीन ने भी किया मना, शेड्यूलिंग की दिक़्क़त बताई

अफ़ग़ानिस्तान पर इस रीजनल सिक्योरिटी डायलॉग में पाकिस्तान ने पहले भी शिरकत नहीं किया है. 2018 में ये ईरान में हुआ था जिसमें अफ़ग़ानिस्तान, चीन, रुस और भारत ने हिस्सा लिया था.

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नई दिल्ली:

दिल्ली में 10 नवंबर को रीजनल सिक्योरिटी डायलॉग ऑन अफ़गानिस्तान की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल करेंगे. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि 10 नवंबर को दिल्ली में होने वाले NSA स्तर के रीजनल सिक्योरिटी डायलॉग ऑन अफ़गानिस्तान का मुख्य चर्चा का विषय अफ़ग़ानिस्तान और इसके आसपास पनपने वाला आतंकवाद, कट्टरता, सीमापार के ख़तरे और नशीली पदार्थों की तस्करी होगा.

इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान में छोड़े गए बड़ी तादाद में हथियार और गोलाबारूद भी चर्चा का विषय होंगे. ये बैठक विदेश मंत्रालय के नेतृत्व में होने वाली वार्ता से अलग होगी. जिसमें भारत समेत आठ देशों के सुरक्षा प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं. 

सभी देशों के एनएसए संयुक्त रुप से प्रधानमंत्री से भी मुलाक़ात करेंगे. इसमें सात देशों ईरान, रुस, कज़ाकिस्तान, किर्गीस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान और ताज़िकिस्तान के एनएसए के शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है.

पाकिस्तान को भी निमंत्रण था लेकिन उसने आने से मना कर दिया है. पाकिस्तान का मना करना दुर्भाग्यपूर्ण है. कई देश पाकिस्तान को समस्या के जनक के तौर पर भी देखते हैं. चीन से जवाब आया कि वो शेड्यूलिंग की दिक्कत की वजह से भागीदारी नहीं कर रहा, लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर भारत से बातचीत का विकल्प खुला (चाइनीज़ कम्यूनिस्ट पार्टी की बैठक है) रहेगा.

अफ़ग़ानिस्तान पर इस रीजनल सिक्योरिटी डायलॉग में पाकिस्तान ने पहले भी शिरकत नहीं किया था. 2018 में ये ईरान में हुआ था जिसमें अफ़ग़ानिस्तान, चीन, रुस और भारत ने हिस्सा लिया था. 2019 में भी ईरान में भी यह संवाद हुआ था, जिसमें तज़ाकिस्तान और उज़बेकिस्तान भी इससे जुड़े और कुल सात देश हो गए.

इन देशों के एनएसए का भारत आना बताता है कि वे अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर भारत की भूमिका को कितनी अहमियत दे रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान के हालात को लेकर भी उनकी चिंता को दर्शाती है. इस बैठक का मक़सद इस इलाक़े के अहम देश मिलकर उन ख़तरों की पहचान करें और उन मुश्किलों की भी जो अफ़ग़ानिस्तान के लोग झेल रहे हैं. 

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बैठक में अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय मदद पहुंचाने के तरीक़ों पर भी चर्चा होगी. इस बैठक के लिए अफ़ग़ानिस्तान को नहीं बुलाया गया है, क्योंकि वहां की कथित सरकार को अब तक मान्यता नहीं दी गई है.

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