कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम ने 1983 में जब विश्व कप का खिताब जीता था, तब टीम के खिलाड़ियों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार देने के लिए क्रिकेट की प्रशंसक लता मंगेशकर को कॉन्सर्ट करना पड़ा था. महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम 2011 में जब दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनीं, तब तक बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) अरब रुपये का मलिक बन चुका था. इन 28 सालों में क्रिकेट महज खेल से एक उद्योग बन गया था. इसके 12 साल के बाद रोहित शर्मा की अगुवाई में भारतीय टीम रविवार को अहमदाबाद के मोटेरा स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल मुकाबले में उतरेगी.
क्रिकेट बना देश के लिए 'सॉफ्ट पावर'
इन 12 वर्षों के दौरान क्रिकेट देश के लिए 'सॉफ्ट पावर' बन गया है. 'सॉफ्ट पावर' किसी देश के अपने भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए खेल और संस्कृति के उपयोग को दर्शाता है. क्रिकेट भारत को न केवल खेल समुदाय में बल्कि बड़े संदर्भ में सामाजिक-राजनीतिक रूप से भी अपनी ताकत दिखाने का मौका देता है. रविवार को फाइनल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति, भारतीय वायु सेना का एक एयर-शो, दो पूर्व विश्व कप विजेता कप्तान कपिल और धोनी दर्शक दीर्घा में मौजूद रहेंगे, जिससे मुकाबले की भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
इन सबके बीच खेल, मनोरंजन और राजनीति की दुनिया से कई नामचीन हस्तियां भी वहां मौजूद होंगी. बॉलीवुड संगीत निर्देशक प्रीतम, गायिका जोनिता गांधी और कोक स्टूडियो के गुजराती गायक आदित्य गढ़वी सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा होंगे.
भारत के हर मैच की तरह इस मुकाबले में भी मैदान नीले रंग की जर्सी पहने प्रशंसकों से भरा होगा. स्टेडियम के बाहर टीम के नकली पोशाक का उद्योग भी चरम पर होगा. जहां प्रशंसकों में 18 नंबर (विराट कोहली) और 45 नंबर (रोहित शर्मा) की संख्या वाली जर्सी खरीदने की होड़ होगी. ये मुकाबला हर मामले में लोगों के लिए यादगार होगा, लेकिन ये देखना होगा कि रोहित शर्मा की अगुवाई में भारत चैम्पियन बनता है या नहीं.