8 नवंबर को वायु प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान सबसे ज्यादा 38%, मुख्य सचिवों की बैठक में उठा मुद्दा : सूत्र

सीएक्यूएम द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जानकारियों के आधार पर यह सामने आया कि मौजूदा संकट की स्थिति मुख्य रूप से पराली जलाने के कारण उपजी है.

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नई दिल्ली:

वायु प्रदूषण (Air Pollution) को लेकर एक आपातकालीन बैठक हुई. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के निर्देश अनुसार कैबिनेट सचिव ने 8 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और एनसीटी दिल्ली के मुख्य सचिवों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की. सूत्रों के अनुसार इस बैठक में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष और पर्यावरण, वन, कृषि, आवासन एवं शहरी कार्य और विद्युत मंत्रालयों के सचिव भी मौजूद थे.

पराली जलाने की 93 प्रतिशत घटनाएं पंजाब में

सीएक्यूएम द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जानकारियों के आधार पर यह सामने आया कि मौजूदा संकट की स्थिति मुख्य रूप से पराली जलाने के कारण उपजी है. 8 नवंबर को वायु प्रदूषण स्तर में 38 प्रतिशत योगदान पराली जलाने से हुआ. 15 सितंबर से 7 नवंबर की अवधि में पराली जलाने की कुल 22,644 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 20978 (93 प्रतिशत) पंजाब में और 1605 (7 प्रतिशत) घटनाएं हरियाणा में हुईं.

पंजाब में पराली जलाने की घटना को रोकने पर मंथन

चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि हरियाणा में कटाई 90 प्रतिशत से अधिक पूरी हो चुकी है, जबकि पंजाब में 60 प्रतिशत पूरी हो चुकी है. इसलिए कटाई के बाकी बचे मौसम के दौरान, विशेषकर पंजाब में, पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है. विस्तृत चर्चा के बाद कैबिनेट सचिव ने निर्देश दिया कि पंजाब राज्य प्रशासन इस फसल के मौसम के शेष दिनों में पराली जलाने संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करे.

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जिम्मेदारी तय हो इस बात पर बनी सहमति

आगे पराली न जलाई जाए यह सुनिश्चित करने के लिए डीसी/डीएम, एसएसपी और एसएचओ की जिम्मेदारी तय की जाए. सीएक्यूएम को पंजाब और हरियाणा में उड़न दस्ता (फ्लाइंग स्क्वॉड) भेजना चाहिए और खेतों में आग लगने की घटनाओं और डीसी/एसएसपी द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को लागू करने की स्थिति के बारे में दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए. सीपीसीबी द्वारा सीएक्यूएम को आवश्यक संख्या में श्रमशक्ति उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

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सीडर मशीनों का पूरा उपयोग करने का निर्देश

पराली जलाने पर प्रतिबंध के उल्लंघन के संदर्भ में पिछले दो वर्षों के दौरान दर्ज किए गए मामलों के संबंध में सभी राज्य सरकारों द्वारा की जाने वाली सभी अनुवर्ती कार्रवाईयों का विवरण सीएक्यूएम के साथ साझा किया जाएगा. यह भी उल्लेखनीय है कि कृषि मंत्रालय द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना के तहत अब तक 3,333 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसमें से पंजाब को 1531 करोड़ रुपये और हरियाणा को 1006 करोड़ रुपये जारी किये गये.
सीआरएम योजना के तहत पंजाब में लगभग 1.20 लाख और हरियाणा में 76,000 सीडर मशीनें उपलब्ध हैं. इन मशीनों के अधिकतम उपयोग से काफी हद तक पराली जलाने की घटनाओं को रोका जा सकता था. पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों को पराली जलाने से रोकने के लिए उपलब्ध सीडर मशीनों का पूरा उपयोग करने का निर्देश दिया गया.

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फसल विविधीकरण पर जोर देने का फैसला

यह नोट किया गया है कि हरियाणा सरकार पूर्व-स्‍थान फसल अवशेष (एक्स-सीटू) प्रबंधन के लिए स्वयं की प्रोत्साहन योजना लागू कर रही है, जिसमें किसानों से भूसे की खरीद और उसका परिवहन आदि शामिल हैं.  हरियाणा सरकार ने किसानों को धान की जगह अन्य फसलों की बुआई के लिए प्रोत्‍साहित करने के लिए फसल विविधीकरण हेतु उनके द्वारा लागू की जा रही प्रोत्‍साहन योजना के बारे में भी जानकारी दी. 

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पंजाब सरकार को भी तुरंत ऐसी ही योजनाएं शुरू करनी चाहिए और उनकी घोषणा करनी चाहिए, ताकि इस वर्ष के शेष भाग और अगले वर्ष में किसानों को पराली जलाने से रोका जा सके. हरियाणा सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कि अगले वर्ष में पराली न जलाई जाए, इसके लिए एक्स-सीटू प्रबंधन की अपनी योजना का दायरा बढ़ाने और उसका विस्तार करने के प्रयास करने चाहिए. यह नोट किया गया कि कृषि मंत्रालय ने पूर्व-स्थाने फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए एक योजना शुरू की है. सभी राज्यों से अपने-अपने राज्यों में इस योजना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने और धन का पूरा उपयोग करने के लिए कहा गया है. 

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