5G सेवाओं के चलते क्यों उठ रहा Airlines की सुरक्षा का मुद्दा? US से लेकर India तक पड़ रहा असर

अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने कहा है कि बुधवार से शुरू हो रही नई फ्रीक्वेंसी वाली 5G सेवाएं हवाईसेवाओं के लिए प्रयोग होने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी पर असर डाल सकती हैं और इससे गंभीर सुरक्षा चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं.

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अमेरिका में 5G सेवाओं को लेकर जारी विवाद का असर भारत पर भी पड़ने लगा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

एयर इंडिया (Air India) ने अमेरिका (US) की 5G संचार सेवाओं (5G Communication services) के मद्देनज़र भारत से अमेरिका के लिए अपने ऑपरेशन्स में कटौती की है. एयर इंडिया ने अपने एक ट्वीट में कहा, "#FlyAI अमेरिका में  5G संचार सेवा को लागू किए जाने को देखते हुए भारत से अमेरिका के लिए ऑपरेशन्स में 19 जनवरी 2022 से कटौती/ संशोधन करना होगा जिसमें एयरक्राफ्ट के प्रकार में बदलाव शामिल होगा. इस बारे में जल्द ही जानकारी दी जाएगी.'

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन(FAA)ने कहा है कि बुधवार से शुरू हो रही नई फ्रीवेंसी वाली  5G सेवाएं हवाईसेवाओं के लिए प्रयोग होने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी पर असर डाल सकती हैं और इससे गंभीर सुरक्षा चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं.   

क्या है मामला?

असल में अमेरिका ने 2021 में मिड रेंज  5G बैंडविड्थ की मोबाइल फोन कंपनियों को नीलामी की थी. इस दौरान C बैंड स्पैक्ट्रम की  3.7-3.98 GHz रेंज की नीलामी करीब $80 बिलियन में की गई थी. जबकि एयरलाइंस के सुरक्षा उपरकरण  4.2-4.4 GHz रेंज पर काम करते हैं. इस बात को लेकर अहम चिंताएं हैं कि यह दोनों रेंज एक दूसरे के बहुत पास है और इससे गड़बड़ियां हो सकती हैं.

बाक़ी देशों में 5G संचार के लिए क्या मानक हैं?

यूरोपीय संघ( EU)  ने 2019 में मिड रेंज की 5G फ्रीक्वेंसीज़ के लिए 3.4-3.8 GHz की रेंज को मानक बनाया था. इसी बैंडविड्थ को 27 देशों के यूरोपीय संघ में प्रयोग किया जा रहा है. यह अमेरिका द्वारा रोल आउट की जा रही नई फ्रीक्वेंसी से कम रेंज की है.

फ्रांस(France) में भी 5G के लिए  3.6-3.8 GHz की रेंज की फ्रीक्वेंसी का प्रयोग होता है जो कि हवाईजहाज़ों के सुरक्षा उपकरण में प्रयोग होने वाली C बैंड फ्रीक्वेंसी (4.2-4.4 GHz)से काफ़ी दूर है.  

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साउथ कोरिया( South Korea) में 5G मोबाइल संचार सेवाओं के लिए 3.42-3.7 GHz बैंड का प्रयोग किया जाता है और 2019 में इसके लागू होने के बाद से कभी रेडियो वेव में आपसी टकराव की कोई खबर नहीं आई.  

अमेरिकी एयरलाइंस की गंभीर सुरक्षा चिंताएं 

इस बीच अमेरिका की बड़ी एयरलाइन सेवा यूनाइटेड एयरलाइन्स ने कहा है कि अमेरिकी सरकार के मौजूदा  5G रोलआउट योजना का उड्डयन क्षेत्र  पर बहुत बुरा प्रभाव होगा, और इससे हर साल 1.25 मिलियन यूनाइटेड यात्रियों, 15,000 उड़ानों और देश के 40 से ज्यादा बड़े हवाईअड्डों से बेहद ज़रूरी टनों सामान लाने-ले जाने वाले कार्गो विमानों  पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.  

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एयरलाइंस ने अपने एक बयान में कहा कि हवाईपट्टी के पास  5G सिग्नल लगाने से अहम सुरक्षा उपकरण प्रभावित हो सकते हैं जिन पर पायलेट ख़राब मौसम में उड़ान भरने और एयरपोर्ट पर उतरने के लिए भरोसा करते हैं. 

"हम सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेंगे -बस. लेकिन, दूसरे देशों में सरकारों ने 5G तकनीक को सुरक्षित तरीक़े से लागू करने के लिए सफलतापूर्वक नीतियां बनाई हैं और हम अमरीकी सरकार से केवल यही करने की मांग कर रहे हैं.अगर ऐसा नहीं हुआ तो कुछ हवाईजहाज़ों में ऑटोपायलेट, हेड-अप डिस्प्ले, सतह की चेतावनी, पिच कंट्रोल देने वाले रेडियो ऑल्टीमीटर जैसे सुरक्षायंत्र खराब हो सकते हैं. इसके नतीजे के तौर पर  787, 777, 737, और बड़े शहरों जैसे ह्यूस्टन, नेवार्क, लॉसएंजेलिस और शिकागो के क्षेत्रीय हवाईजहाज़ों पर कई प्रतिबंध लगाने पड़ेंगे. 

दुर्भाग्य से इसका परिणाम यह होगा कि इससे ना केवल हज़ारों फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ेंगी बल्कि 2022 में कई क्षेत्रों के ग्राहकों पर असर पड़ेगा. साथ ही इन इलाकों में कार्गो उड़ाने भी रोकनी पड़ेंगी जिससे पहली ही दबाव झेल रही सप्लाई चेन के लिए मुश्किलें और बढ़ जाएंगी. हम बाइडेन प्रशासन से इस पर जल्द ही काम करने की अपील करते हैं और आशा करते हैं कि वो उसी कॉमन-सेंस वाले उपायों से काम लेंगे जो साफ तौर से पूरी दुनिया में काम कर रहे हैं.

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