फादर्स डे का दिन, जो आम तौर पर हर पिता के लिए खास दिन होता है. मगर यही दिन रमेश भालिया के लिए सबसे बदकिस्मत दिन बन गया. सोचिए उस पिता पर क्या बीत रही होगी जो फादर्स डे के दिन अपने बेटे का शव लेने हजारों मील का सफर इंडिया पहुंचा हो. आंखों में आंसू और उदासी भरा चेहरा लिए रमेश भालिया जब अहमदाबाद पहुंचे तो उनका एक बेटा मुर्दाघर में था और दूसरा अस्पताल में. भयानक प्लेन क्रैश में इकलौता जिंदा बचा शख्स विश्वासकुमार, रमेश भालिया का ही बेटा है. एक तरफ उन्हें इस बात की तसल्ली होगी कि खुशकिस्मती से उनके बेटे की जान बच गई, वहीं इस तसल्ली पर ये गम ज्यादा भारी है कि उनका दूसरा बेटा इसी प्लेन क्रैश में मारा गया. जिसका शव लेने वो लंदन से इंडिया आए हैं. रमेश भालिया लंदन से हजारों मील का सफर तय कर सिविल हॉस्पिटल पहुंचे, जहां उनका छोटे बेटे अजयकुमार का शव मुर्दाघर में है और बड़ा बेटे विश्वासकुमार वार्ड में. विश्वास, जो एयर इंडिया की उड़ान AI 171 में सीट 11A पर बैठे थे, इस भयानक विमान हादसे के इकलौते बचे इंसान हैं. अब वे अपने पिता रमेश के लिए एकमात्र सहारा हैं.
हादसे का मंजर और भाइयों का बिछड़ना
12 जून 2025 के दिन गुजरात के अहमदाबाद एयरपोर्ट पर टेकऑफ के महज 30 सेकंड बाद AI 171 बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर क्रैश हो गया. इस हादसे में 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स में से 241 की मौत हो गई. विश्वासकुमार, जो इमरजेंसी के पास सीट 11A पर थे, वो किसी चमत्कार से बच निकले. लेकिन उनके ठीक सामने, फ्लाइट के गलियारे पार सीट 11J पर बैठे उनके छोटे भाई अजयकुमार रमेश नहीं बच सके. नियति ने दोनों भाइयों को हमेशा के लिए जुदा कर दिया. रेस्क्यू वर्कर्स के बनाए गए एक दिल दहला देने वाले वीडियो में विश्वास को जलते मलबे से बाहर निकलते देखा गया. खून से लथपथ और सदमे में डूबे विश्वास चीख रहे थे, "प्लेन फट्यो छे! प्लेन फट्यो छे!" (विमान फट गया है). स्थानीय लोग और बचावकर्मी उनकी मदद के लिए दौड़े, और उन्हें तुरंत एम्बुलेंस में ले जाया गया, जबकि आसपास तबाही का मंजर फैल चुका था.
दीव से अहमदाबाद तक का दुख
रमेश भालिया और उनके दोनों बेटे मूल रूप से दीव के बूचारवाड़ा गांव के पटेलवाड़ी क्षेत्र के रहने वाले हैं. कई साल पहले वे अपने सपनों को साकार करने लंदन चले गए थे. दोनों भाई, जो ब्रिटिश नागरिक हैं, पिछले 15 साल से यूके में एक गारमेंट बिजनेस और दीव में एक बोट बिजनेस मिलकर चला रहे थे. दोनों भाई किसी काम से अहमदाबाद आए थे. भयानक हादसे में विश्वास और अजयकुमार के अलावा उनके चाचा और चाची भी शामिल थे. जो दीव के बूचारवाड़ा और वनकबारा गांवों के 15 अन्य लोगों के साथ इसी फ्लाइट में सवार थे. इस त्रासदी ने पूरे दीव को शोक में डुबो दिया.
रमेश का टूटा दिल
रमेश भालिया का दुख इतना गहरा है कि वे किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं. दीव के बूचारवाड़ा गांव के सरपंच दीपक देवजी, जो शोकसंतप्त परिवार का सहारा बनने अहमदाबाद पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि रमेश भाई पूरी तरह टूट चुके हैं. वे इससे उबरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी किसी से बात नहीं कर पा रहे. रमेश पास के एक होटल में है, जबकि उनका एक करीबी दोस्त विश्वास की देखभाल के लिए अस्पताल में मौजूद है. दीपक ने बताया कि रमेश के साथ कोई अन्य करीबी रिश्तेदार अहमदाबाद नहीं आया.
विश्वास: एकमात्र उम्मीद की किरण
विश्वासकुमार की हालत अब स्थिर है, और वे सिविल हॉस्पिटल के वार्ड में रिकवर कर रहे हैं. उनकी सीट 11A, जो इमरजेंसी एग्जिट के पास थी, वो ही उनकी नई जिंदगी बनी. लेकिन उनके ठीक सामने बैठे छोटे भाई को खोने का दर्द उनके और उनके पिता के दिल में हमेशा रहेगा. रमेश के लिए यह फादर्स डे कभी न भूलने वाला दुख बन गया, जहां एक बेटे का नुकसान और दूसरे का चमत्कारी बचाव उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल गया.