भारत से करीब दो साल के अंतराल के बाद नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें (International flights) रविवार से संचालित होना शुरू हो गई हैं और इसके साथ हवाई किराये में कमी की उम्मीद भी जगी है. कोविड-19 की महामारी से जुड़ी पाबंदियों के कारण अभी तक विदेशी उड़ानें एयर बबल अरेंजमेंट के तहत सीमित मात्रा में ही परिचालित की जा रही थीं. इस कारण उड़ानों की संख्या हर हफ्ते करीब दो हजार तक सीमित थी और इस कारण हवाई टिकटों के दाम भी काफी ज्यादा ऊंचे स्तर पर थे. हालांकि अब 40 देशों की 60 एयरलाइनें अब भारत से उड़ानों का परिचालन कर सकती हैं. फिलहाल यह सुविधा मार्च से अक्टूबर तक दी गई है. विमानन विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि इससे हवाई किराये में कमी आएगी और यात्रियों को थोड़ी राहत मिलेगी.
एयरलाइनों को भी राहत मिलने की उम्मीद
इससे दो साल से लंबा झटका झेल रहीं एयरलाइनों को भी घाटे की भरपाई में मदद मिलेगी. साथ ही पर्यटन उद्योग को भी वापस पटरी पर आने में मदद मिलेगी. हालांकि एक बड़ी चिंता का विषय है कि यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण ईंधन के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं, जिससे विमानन कंपनियों की लागत बढ़ी है और यह हवाई किराये में कमी के रास्ते में रोड़ा बन सकती है. जेट एयरवेज के सीईओ संजीव कपूर ने कहा कि जब भी विमानन क्षमता में बढ़ोतरी होती है तो हवाई किराये में कमी लाजिमी है, लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण तेल के दाम में इजाफे के कारण ज्यादा राहत नहीं मिलने की संभावना है.
सरकार द्वारा कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियां हटा लाने के बाद ट्रैवल एजेंसियों के पोर्टल और एयर रूट से जुड़ी सर्च भी तेजी से बढ़ी हैं. इंटरनेशनल फ्लाइट के लिए भी सारे रास्ते अब खोल दिए गए हैं.
ट्रेवल पोर्टल एक्सिगो (Ixigo) के सह संस्थापक आलोक बाजपेयी ने कहा कि कंज्यूमर सेंटिमेंट अभी बेहद सकारात्मक बना हुआ है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होना स्वागतयोग्य है. हमारे हालिया सर्वे बताते हैं कि लोग बेसब्री से लंबी हवाई यात्रा का इंतजार कर रहे हैं. मेक माई ट्रिप (MakeMyTrip) के सीईओ राजेश मैगो का कहना है कि महीने दर महीने फ्लाइट सर्च की बात करें तो इसमें 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. लेकिन युद्ध के हालात सारी उम्मीदों पर पानी फेरने वाले हैं.