सोशल डिस्टेंसिंग रखने के साथ मास्क न पहनने वालों को पहचानेगा AI से लैस सिस्टम, IISER भोपाल में तैयार

Crowd and Mask Monitoring System आसानी से पता लगा लेगा कि स्कूल-कॉलेज, बाजार या किसी अन्य सार्वजनिक संस्थान की जगह पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है या नहीं. अगर लोगों ने मास्क नहीं पहना है तो इसमें पहले से रिकार्ड आवाज बजने लगेगी कि लोग दूरी बनाए रखें और मास्क पहनें.

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IISER Bhopal में तैयार किया गया यह एआई से लैस निगरानी सिस्टम
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र, केरल और पंजाब जैसे राज्यों में भीड़ और मास्क न पहनने की लोगों की जिद की चलते कोरोना तेजी से फैल रहा है. ऐसे लोगों की निगरानी के लिए भोपाल के इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ साइंसेज एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) ने क्राउड एंड मास्क मॉनीटरिंग सिस्टम (‘Crowd and Mask' Monitoring System) बनाया है.

आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग से लैस यह निगरानी सिस्टम आसानी से पता लगा लेगा कि स्कूल-कॉलेज, बाजार या किसी अन्य सार्वजनिक संस्थान की जगह पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है या नहीं. वहां मौजूद लोगों ने मास्क पहना है या नहीं. अगर लोगों ने मास्क नहीं पहना है या उनके बीच दूरी नहीं है तो यह तुरंत अलर्ट कर देगा. इसमें पहले से रिकार्ड आवाज बजने लगेगी कि लोग दूरी बनाए रखें और मास्क पहनें. इससे कोरोना (COVID-19) की निगरानी करना आसान होगा.

इससे दूरदराज बैठकर ही किसी जगह पर कोरोना से जुड़ी गाइडलाइन का पालन आसानी से कराया जा सकता है. इसकी कीमत भी बेहद कम है और आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है. IISER Bhopal के इनोवेटर्स का कहना है कि यह  
AI से लैस सिस्टम 3 फीट की सोशल डिस्टेंसिंग कायम करेगा.

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस विभाग के एसोसिएट डॉ. पीबी सुजीत ने यह जानकारी दी. विभाग के अन्य एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मित्रदीप भट्टाचार्जी और डॉ. शांतनु तालुकदार के साथ IISER Bhopal में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर वेंकटेश्वर राव और बीएमएमएस छात्र काशी विश्वनाथ ने यह सिस्टम तैयार किया है.

डॉ. सुजीत का कहना है कि हम ऐसा सिस्टम बनाना चाहते थे जो सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन होने पर तुरंत अलार्म भेजे. इसमें एआई और मशीन लर्निंग (Artificial Intelligence and Machine Learning) के साथ हाई डेफिनिशन कैमरा, माइक्रोचिप कंप्यूटर और 3डी प्रिंटेड केस का इस्तेमाल किया गया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस सिस्टम को भी किसी भी भीड़ भरे इलाके या सार्वजनिक जगहों पर लगाया जा सकता है.

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