राजीव गांधी जब भी जाते गुजरात- चूड़ा, मूंगफली और सेव लेकर विमान तक दौड़ जाते थे अहमद पटेल

Ahmed Patel MP Rajya Sabha Death: जब 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तब अहमद पटेल को राजीव गांधी ने अपना संसदीय सचिव बनाया था. उस समय पीएम राजीव गांधी के तीन युवा सिपहसलार थे, जिन्हें  'अमर, अकबर और एंथनी' की तिकड़ी कहा जाता था.

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Ahmed Patel MP Rajya Sabha Death: जब 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तब अहमद पटेल को राजीव गांधी ने अपना संसदीय सचिव बनाया था.
नई दिल्ली:

Ahmed Patel MP Rajya Sabha Death: कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और कोषाध्यक्ष अहमद पटेल (Ahmed Patel) का कोविड-19 (Covid-19) की वजह से देहांत हो गया. 71 वर्षीय पटेल गांधी परिवार के सबसे करीबी और भरोसेमंद सिपाही थे. युवावस्था के दौरान ही उन्होंने अपनी प्रतिभा, मेहनत और लगनशीलता का लोहा तब मनवाया था, जब कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में हवा चल रही थी, बावजूद उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता. इसके बाद वो इंदिरा गांधी के करीबी हो गए. पटेल ने 1977 में भरूच से पहला संसदीय चुनाव जीता था. बाद में वो दो बार और साल 1880 और 1984 में भी यहां से जीतने में कामयाब रहे.

1980-84  के बीच जब राजीव गांधी राजनीति में कदम बढ़ा रहे थे और मां इंदिरा के कहने पर देशभर का दौरा कर रहे थे, तब अहमद पटेल उनके करीब आए. कहा जाता है कि जब भी 35 वर्षीय राजीव गांधी गुजरात दौरे पर जाते, तब 25 वर्षीय अहमद पटेल एक थैली में चूड़ा, सेव भुजिया और मूंगफली लेकर उनके विमान तक रनवे पर दौड़ जाते थे. गांधी परिवार को गुजराती स्नैक्स से काफी लगाव था और पटेल अक्सर ये स्नैक्स दिल्ली भेजा करते थे.

जब 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तब अहमद पटेल को राजीव गांधी ने अपना संसदीय सचिव बनाया था. इसके अलावा उन्हें कांग्रेस का संयुक्त सचिव भी बनाया गया. बाद में वो फिर पार्टी महासचिव भी बनाए गए. उस समय पीएम राजीव गांधी के तीन युवा सिपहसलार थे, जिन्हें  'अमर, अकबर और एंथनी' की तिकड़ी कहा जाता था. 1977 में इस नाम से एक हिन्दी फिल्म रिलीज हुई थी. उसी की तर्ज पर इस तिकड़ी का नाम रखा गया था.

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राजीव गांधी के दून स्कूल के साथी अरुण सिंह (अमर), अहमद पटेल (अकबर) और ऑस्कर  फर्नांडिस (एंथनी) राजीव गांधी के घनिष्ठ और बेहद करीबी सहयोगी थे. 1986 में जब राजीव गांधी ने कांग्रेस में युवा तुर्कों को बढ़ाना शुरू किया, तब अहमद पटेल को उन्होंने गुजरात वापस भेज दिया और उन्हें पार्टी का गुजरात प्रदेश अध्यक्ष बनाया. राजीव की इस पहल से तब कांग्रेस में कद्दावर मुस्लिम नेतागण, जिनमें गुलाम नबी आजाद, तारिक अनवर, आरिफ मोहम्मद खान, शामिल थे खुद को वृष्टिछाया (rain shade) में महसूस करने लगे थे. 

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'अहमद भाई राजनेताओं के भी राजनेता थे'

राजीव गांधी की हत्या और दूसरी बार (1989 और 1991) लोकसभा चुनाव हारने के बाद अहमद पटेल लगभग अलग-थलग पड़ चुके थे लेकिन 1992 में कांग्रेस के तिरुपति अधिवेशन में जब कांग्रेस कार्यकारिणी का चुनाव हो रहा था, तब उन्हें तीसरा सर्वाधिक वोट मिला था. यह उनके पिछले कार्यकाल और मिलनसार व मददगार प्रवृति का ईनाम था. इसके बाद 1993 में वो राज्यसभा सांसद चुने गए और तब से आजतक वो संसद के उच्च सदन के सदस्य थे.

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वीडियो- अहमद पटेल का 71 साल की उम्र में निधन

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