कोरोना संकट से बदहाल इकोनॉमी के लिए अच्‍छी खबर, कृषि उत्‍पादों के निर्यात में 17% का इजाफा

कोरोना संकट ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है और कई अहम् सेक्टर इसके असर से अब भी जूझ रहे हैं लेकिन कोरोना के इस कहर के बीच कृषि उत्पादों के निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है.

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नई दिल्ली:

कोरोना की दूसरी लहर की वजह से कमज़ोर पड़ी अर्थव्यवस्था के लिए फिलहाल एक अच्छी खबर है. इस आर्थिक संकट के दौर में एग्रीकल्चर और इससे संबंधित प्रोडक्ट्स का निर्यात पिछले एक साल में 17% से ज्यादा बढ़ा है. पहली बार आम की टॉप वैरायटी को बहरीन और साउथ कोरिया जैसे देश भेजा जा रहा है. गौरतलब है कि कोरोना संकट ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है और कई अहम् सेक्टर इसके असर से अब भी जूझ रहे हैं लेकिन कोरोना के इस कहर के बीच कृषि उत्पादों के निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है. गुरुवार को वाणिज्‍य सचिव अनिल बधावन ने आंकड़े सार्वजनिक करते हुए कहा, 'कृषि उत्पाद की निर्यात बढ़ा है. कृषि और उससे जुड़े उत्पाद का निर्यात 2020-2021 में 41.25 बिलियन डॉलर पहुंच गया है. यह 2019-20 के मुकाबले 17.34% ज्यादा है. बधावन के अनुसार, 'पिछले कुछ महीनों में एग्रीकल्‍चर एक्‍सपोर्ट सक्‍सेस स्‍टोरी है. आम का व्यापर बढ़ रहा है, साथ ही नए देशों में उसका निर्यात भी.

वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक बिहार और बंगाल से  मंगलवार को 16 टॉप क्वालिटी के आम को बहरीन एक्सपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू हुई. इनमे 3 GI सर्टिफाइड- Khirsapati और Lakshmanbhog (पश्चिम बंगाल) और बिहार का Zardalu आम शामिल है. पहली बार 2.5 मीट्रिक टन Banganapalli और Survarnarekha आम को दक्षिण कोरिया भेजा गया है. 

हालांकि आम व्यापारी मानते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर की वजह से आम का एक्सपोर्ट क्षमता के हिसाब से नहीं हो पा रहा है. अप्रैल और मई में जिस तरह से लॉकडाउन लगाया गया, उसका आम के व्यापार पर असर पड़ा है. इस रुकावटों से आम व्यापार की सप्लाई चैन प्रभावित हुई है. जी युसूफ, फल व्यापारी, MKC एग्रो फ्रेश लिमिटेड ने NDTV से कहा, 'ये लखनऊ का मलीहाबादी आम है. ये एक्सपोर्ट भी होता है] लेकिन इस बार लॉकडाऊन की वजह से ये विदेश नहीं जा पा रहा. इसकी कीमत एक्सपोर्ट करने से ही अच्छी होती है. उन्‍होंने कहा कि आम की फसल अच्छी है लेकिन कीमत सिर्फ 25 रुपये के आसपास है. अगर एक्सपोर्ट होता तो इसकी कीमत 40 से 50 रुपये होती. ज़ाहिर है, फिलहाल चुनौती मौजूदा वित्तीय साल में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन अड़चनों को जल्दी दूर करने की है.

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