आगरा : अस्पताल में ऑक्सीजन बंद कर देखा गया कितने मरीज मरने वाले हैं? अस्पताल सील करने के आदेश

आगरा के श्री पारस अस्पताल को सील करने का आदेश दिया गया है. अस्पताल में जो 55 मरीज भर्ती हैं उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ़्ट किया जाएगा. यहां मॉक ड्रिल में ऑक्सीजन बंद करने की वजह से कई लोगों की मौत का आरोप है. प्रशासन ने अस्पताल के ख़िलाफ़ महामारी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है.

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आगरा के अस्पताल में मॉक ड्रिल के नाम पर 5 मिनट के लिए बंद की गई ऑक्सीजन

लखनऊ:

आगरा के श्री पारस अस्पताल को सील करने का आदेश दिया गया है. अस्पताल में जो 55 मरीज भर्ती हैं उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ़्ट किया जाएगा. यहां मॉक ड्रिल में ऑक्सीजन बंद करने की वजह से कई लोगों की मौत का आरोप है. प्रशासन ने अस्पताल के ख़िलाफ़ महामारी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है. दरअसल ये मामला तब सामने आया जब अस्पताल के संचालक का वीडियो वायरल हुआ. ये वीडियो 26 अप्रैल का है. वायरल ऑडियो में संचालक ये कहते हुए सुना जा सकता है कि उसने अपने अस्पताल में ऑक्सीजन 5 मिनट के लिए बंद कर एक मॉक ड्रिल किया था. इस ड्रिल के बाद ऐसे 22 मरीजों की पहचान की गई जिनकी ऑक्सीजन की कमी से मौत हो सकती थी.

मामला उस वक़्त का है जब अप्रैल में ऑक्सीजन की भारी किल्लत थी. वायरल वीडियो में डॉक्टर अरिंजय सिंह बता रहे हैं कि उनके अस्पताल में उस दिन कोरोना के 96 मरीज़ भर्ती थे. ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से उन्होंने तीमारदारों से कहा कि वे अपने मरीजों को कहीं और ले जा सकते हैं, लेकिन चूंकि कहीं भी ऑक्सीजन नहीं थी इसलिए कोई अपने मरीज़ को शिफ्ट करने को तैयार नहीं हुआ. इसके बाद डॉ अरिंजय यह बताते हैं कि मरीज़ ज़्यादा थे और ऑक्सीजन कम तो उन्होंने ऑक्सीजन का मैनेजमेंट कैसे किया.

आगरा के डीएम ने बताया कि जांच के आदेश जारी हो चुके हैं. इस अस्पताल को सील कर दिया गया है. महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा भी दर्ज किया गया है. जो 55 मरीज इस अस्पताल में हैं उन्हें भी शिफ्ट किया जाएगा.

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इस पर वायरल वीडियो में उनकी बातचीत का टेक्स्ट इस तरह है:

डॉ अरिंजय: "जो भी पेंडुलम बने रहे कि नहीं जाएंगे,नहीं जाएंगे. मैंने कहा कोई नहीं जा रहा है. दिमाग मत लगाओ छोड़ो. अब वो छांटो जिनकी (ऑक्सीजन) बंद हो सकती है."

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डॉक्टर के सामने बैठा शख्स: "जो बिल्कुल ही डेड लाइन पर हैं. "

डॉ अरिंजय : "एक ट्रायल मार दो. मॉक ड्रिल कर के देख लो कि कौन सा मरेगा,कौन सा नहीं मरेगा ?'

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डॉ के सामने बैठा शख्स : "सही बात है,सही बात है."

डॉ अरिंजय : "मॉक ड्रिल करी. सुबह सात बजे मॉक ड्रिल हुई. किसी को पता नहीं है कि मॉक ड्रिल कराई. सुनकर के सबकी, छंट गए 22 मरीज़. नीले पड़ने लगे. "

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डॉ के सामने बैठा शख्स : "22 मरीज़ छंट गए भाई साहब ?"

डॉ अरिंजय:"22 मरीज़ छंट गए कि ये मरेंगे."

डॉ के सामने बैठा शख्स :"ओह भाई साहब, कितनी देर के लिये मॉक ड्रिल करी ?"

डॉ अरिंजय :"पांच मिनट के लिए. "

डॉ के सामने बैठा शख्स :"पांच मिनट में 22 मरीज़ ?मॉक ड्रिल हुए,हुए."

डॉ अरिंजय : "नीले पड़ने लगे, 74 बचे, इन्हें टाइम मिल जाएगा." 

डॉ के सामने बैठ शख्स : " सही बात है. "

डॉ अरिंजय : "फिर 74 से कहा कि अपना सिलेंडर लाओ."

वीडियो वायरल होने के बाद जब मीडिया ने श्री पारस अस्पताल के मालिक डॉ अरिंजय जैन से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि किसी मरीज़ की ऑक्सीजन बंद नहीं की गई बल्कि ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से उसका बेहतर मैनेजमेंट करने के लिए ऑक्सीजन के फ्लो मीटर से चेक किया गया कि किस मरीज़ को कितनी ऑक्सीजन की ज़रूरत है. इसके लिए मरीजों की अलग-अलग कैटेगरी बनाई गईं. आगरा के डीएम प्रभु नारायण सिंह का कहना है कि वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए उसकी जांच कराई जाएगी. 

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इस पूरे प्रकरण में सबसे गंभीर बात डॉ अरिंजय की बातचीत का वो हिस्सा है जिसमें वो कोरोना के मरीजों के साथ 5 मिनट के लिए मॉकड्रिल करने की बात कहते हैं और ये भी कहते हैं कि 22 मरीज़ छंट गए. वे मरीज़ नीले पड़ने लगे. पता चल गया कि ये मर जाएंगे. मरीज़ को लगी ऑक्सीजन का प्रेशर उसके फ्लो मीटर से पता चलता रहता है. उसके लिए कौन-सी मॉक ड्रिल की गई? और क्यों की गई? यह उन्होंने नहीं बताया. उन्होंने ये भी नहीं बताया कि उस मॉकड्रिल में ऐसा क्या किया गया जिससे 22 मरीज़ नीले पड़ने लगे?

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