संसद हमले में फांसी की सजा पाए अफजल गुरु का भाई भी चुनाव मैदान, इस मुद्दे पर मांग रहे हैं वोट

जम्मू कश्मीर के सोपोर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे एजाज अहमद के लिए पहले देश आता है, फिर जम्मू कश्मीर. वो चुनाव प्रचार के दौरान विकास के नाम पर वोट मांगते हैं. उनका कहना है कि अनुच्छेद-370 और 35 ए फिर वापस नहीं आ सकता है.

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नई दिल्ली:

भारत की पुरानी संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को आतंकी हमला हुआ था. इसे पांच आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. इसमें इसमें नौ लोगों की जान गई थी. सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में सभी हमलावरों को मार गिराया था. सुरक्षा एजेंसियों ने मामले की जांच के दौरान 15 दिसंबर को श्रीनगर से अफजल गुरु नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया था. उस पर हमलावरों की मदद करने का आरोप लगाया गया था. लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद नौ फरवरी 2013 को अफजल को दिल्ली की तिहाड़ जेल में अफजल को फांसी दे दी गई. दरअसल हम अफजल को आज इसलिए याद कर रहे हैं कि जिस अलगाववाद की राह अफजल चला था, उसे नकार कर उसका भाई आज संसदीय राजनीति के जरिए राजनीति की मुख्यधारा में शामिल होना चाहता है.अफजल के बड़े भाई एजाज अहमद जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी कर रहा है.वो सोपोर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं. 

जम्मू कश्मीर का बंटवारा

सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था. इसके साथ ही राज्य को जम्मू कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्रशासित राज्य में बांट दिया था. इसके बाद से अब वहां चुनाव कराए जा रहे हैं. एजाज ने अपने भाई अफजल की तरह अलगाववाद का रास्ते की जगह लोकतंत्र का रास्ता चुना है. एजाज के एक बेटे को पुलिस ने दिसंबर 2023 में तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. एजाज को लगता है कि उनके बेटे को फंसाया गया है. एजाज अफजल गुरु की कब्र पर फातिहा पढ़ने और शिव सेना के संस्थापक बाला ठाकरे और पाकिस्तान में मारे गए सरबजीत सिंह की समाधि पर फूल चढ़ाने की इजाजत सरकार से चाहते हैं.उनका कहना है कि उनके पहले देश फिर प्रदेश यानी की जम्मू कश्मीर आता है. 

राजनीति में पहली पीढ़ी

पशुपालन विभाग की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए एजाज को अनुच्छेद-370 और 35ए के फिर बहाल होने की उम्मीद नहीं है. लेकिन उन्हें लगता है कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होगा. वो चुनाव में इसे मुद्दा बनाए हुए हैं. उनका कहना है कि कश्मीरी पूर्ण राज्य की बहाली के वोट कर रहे हैं. चुनाव प्रचार में एजाज सोपोर के विकास का मुद्दा उठाते हैं.उनका कहना है कि यहां के नेताओं ने अपना विकास तो किया, लेकिन इलाके के विकास में रुची नहीं दिखाई. एजाज नेताओं से खासे नाराज हैं.उनका कहना है कि कश्मीर के नेताओं ने अपना भला किया है. चुनाव प्रचार में वो सोपोर के विकास पर जोर देते हैं.राजनीति में आने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं. एजाज चुनाव प्रचार में अफजल गुरु का जिक्र नहीं करते हैं. वो इस बात पर जोर देते हैं कि अफजल का रास्ता अलग था और उनका रास्ता अलग है.अब यह आठ अक्तूबर को ही पता चल पाएगा कि सोपोर के लोग एजाज की बातों पर कितना विश्वास करते हैं. 

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कितनी संपत्ति के मालिक हैं एजाज

एजाज गुरु ने नामांकन के समय जमा कराए गए हफनामें में अपनी और अपनी पत्नी की तीन लाख तीन हजार रुपये की चल संपत्ति की जानकारी दी है. उनके पास अचल संपत्ति के नाम पर बारामुला में 50 लाख रुपये का एक दोमंजिला मकान होने की जानकारी दी है. इसके अलावा उन पर छह लाख रुपये का कर्ज है. एजाज ने नौवीं क्लास तक की पढ़ाई की है. उनके ऊपर एक मुकदमा चल रहा है. 

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