पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘‘सम्मानित अतिथि'' के रूप में राजभवन के अंदर किसी भी विरोध प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया. यह ‘‘प्रस्ताव'' ऐसे वक्त आया है जब बनर्जी ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को ‘‘रोकने'' के विरोध में राजभवन के बाहर धरना देने की चेतावनी दी थी. राज्यपाल ने यहां हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं सम्मानित संवैधानिक सहयोगी, माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध करूंगा कि वे राजभवन के अंदर आएं और अगर वह चाहें तो विरोध प्रदर्शन करें. उन्हें बाहर क्यों रहना चाहिए?''
मंगलवार को शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान बनर्जी ने कहा था, ‘‘अगर (राज्य सरकारों के) अधिकार छीनकर संघवाद में हस्तक्षेप किया गया तो मैं राजभवन के बाहर धरने पर बैठने के लिए मजबूर हो जाऊंगी. हम अन्याय नहीं होने देंगे. बंगाल जानता है कि कैसे लड़ना है. इंतजार करें और देखें.'' राज्यपाल ने, राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में, हाल में प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएकेएयूटी) और बर्धमान विश्वविद्यालय सहित आठ विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम उप-कुलपतियों की नियुक्ति की. मुख्यमंत्री ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए राज्य-प्रशासित विश्वविद्यालयों के संचालन में हस्तक्षेप करने का प्रयास बताया.
सूत्रों ने कहा कि आठ अन्य विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों के नामों को भी अंतिम रूप दे दिया गया है और नियुक्ति पत्र ‘‘जल्द ही जारी किए जाएंगे.'' उन्होंने कहा कि कुलपतियों को पांच सदस्यीय खोज समिति द्वारा सुझाए गए नामों में से चुना जाना चाहिए. बनर्जी ने आरोप लगाया कि बोस समिति के सुझावों की परवाह किए बिना अपनी इच्छा से लोगों को नियुक्त कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस्लाम, इलाके में कूड़ा बीनने का काम करता था.
पुलिस ने कहा कि छह सितंबर को इस्लाम को हिरासत में लिया गया और विस्तृत जांच में पता चला कि आरोपी ने इस साल जून में बगैर वैध पासपोर्ट या वीजा के भारत में प्रवेश किया था. पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच में पाया कि इस्लाम बांग्लादेश के पिरोजपुर जिले का रहने वाला है. उन्होंने बताया कि उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.