नई दिल्ली: भारत में अफगानिस्तान दूतावास को बंद करने को लेकर औपचारिक बयान सामने आ गया है. बयान जारी कर कहा गया है कि 1 अक्टूबर से नई दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास काम करना बंद कर रहा है. इसके पीछे तीन वजह बताई जा रही है.
पहला मेजबान देश भारत की तरफ़ से इस मुश्किल समय में जो मदद मिलनी चाहिए वो नहीं मिली है. दूसरा कि दूतावास के तौर पर अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रहे, क्योंकि काबुल में वैध सरकार काम नहीं कर रही और भारत की तरफ़ से जरुरी मदद नहीं मिली है. तीसरा संसाधनों की कमी के चलते दूतावास के कर्मचारियों की तादाद कम से कमतर करना पड़ा जिसे ज़रूरी कामकाज चलाने में दिक्कत बढ़ती गई। अफ़ग़ानिस्तान के राजनियकों के वीज़ा के नवीनीकरण में भी दिक्क़त आयी और इससे कामकाज़ पर असर पड़ा.
इन वजहों से दूतावास बंद कर इसे मेजबान देश के हाथों सौंपे जाने का फ़ैसला किया गया. इसमें इस बात का खंडन किया गया है कि अफ़ग़ानिस्तान के राजनयिक दूसरे देशों में शरण लेने की कोशिश करते रहे हैं. दूतावास की तरफ़ से इसे बंद करने के पहले की सूचना के वेरिफ़िकेशन की मांग भी की गई है.
दूतावास पर अफ़ग़ानिस्तान के झंडे को लगाए रखने की मांग की गई है. इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान, न कि इस्लामिक अमीरात ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान की (तालिबान के टेकओवर के बाद का नाम). भारत सरकार के साथ दूतावास एक समझौता करने को तत्पर है. ये बात भी कही गई है.
ये भी पढ़ें:-
पंजाब के चीनी मिल में अनियमितता, अकाली दल के नेता जरनैल वाहिद, पत्नी और बेटा हिरासत में