भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को उसकी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित करने के तुरंत बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मिशन सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए है.
एस सोमनाथ ने शनिवार को एएनआई से कहा,"सौर मिशन आदित्य-एल1 पूरी दुनिया के लिए है, अकेले भारत के लिए नहीं, हम सभी को इसके वैज्ञानिक महत्व को समझने और इसका उपयोग करने के लिए."
इसरो प्रमुख ने कहा कि वैज्ञानिकों को कई सुधार करने पड़े ताकि अंतरिक्ष उपग्रह को सटीक पॉइंट पर स्थापित किया जा सके.
सोमनाथ ने कहा, "आज का कार्यक्रम केवल आदित्य-एल1 को सटीक हालो आर्बिट में स्थापित करना था. यह एक उच्च कक्षा की ओर बढ़ रहा था, लेकिन हमें इसे सही जगह पर स्थापित करने के लिए थोड़ा सुधार करना पड़ा. तो हमें उपग्रह को सही दिशा में रखने के लिए उसे करीब 31 मीटर प्रति सेकंड जैसा कुछ संचयी रूप से वेग देना पड़ा.''
हालो ऑर्बिट के बारे में सोमनाथ ने कहा, "हालो ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जो L1 पॉइंट के चारों ओर घूमती है, जिसका आकार एक डायमेंशन में 6 लाख किलोमीटर और दूसरे डायमेंशन में एक लाख किलोमीटर है. इसलिए यह एक अंडे की तरह है. हमें इसे नए आर्बिट में स्थापित करना था. इसे सटीक तरीके से स्थापित करना था."
इसरो प्रमुख ने कहा कि यदि उपग्रह को सटीक स्थान पर सही ढंग से स्थापित नहीं किया गया तो वह पॉइंट से हट सकता है.
सोमनाथ ने कहा, "अगर हम आज सुधार नहीं करते हैं तो यह इस पॉइंट से हट जाएगा. हम इसे हटने नहीं देंगे. कुछ आकस्मिक जरूरतें हैं, लेकिन गणितीय रूप से यह हट सकता है. इसलिए यह बहुत सटीक तरीके से किया गया है. आज हमने अपने आधार पर सटीक प्लेसमेंट किया है. माप और वेग की जरूरत की बहुत सही भविष्यवाणी...तो अभी हमारी गणना में यह सही जगह पर है.''
हालांकि इसरो प्रमुख ने यह भी बताया कि उनकी टीम बहाव की जांच के लिए अगले कुछ घंटों तक इसकी निगरानी करेगी. उन्होंने कहा कि अगर यह अपनी जगह से थोड़ा भी भटकता है तो इसमें सुधार की जरूरत हो सकती है.
सोमनाथ ने कहा, "लेकिन हम यह देखने के लिए अगले कुछ घंटों तक इस पर नजर रखेंगे कि यह सही जगह पर है या नहीं. फिर अगर यह थोड़ा भी भटकता है, तो हमें थोड़ा सुधार करना पड़ सकता है. हमें ऐसा होने की आशंका नहीं है..”