अदाणी फाउंडेशन और मध्य प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग, विदिशा ने प्रोजेक्ट फॉर्च्यून सुपोषण के जरिए कुपोषण मिटाने के लिए हाथ मिलाया है. फॉर्च्यून सुपोषण परियोजना अदाणी विल्मर की एक प्रमुख पहल है, जिसे अदाणी फाउंडेशन द्वारा भारत के 11 राज्यों में 17 स्थानों पर कार्यान्वित किया जा रहा है. इस परियोजना का उद्देश्य 5 साल से कम उम्र के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कुपोषण और एनीमिया को कम करने के लिए सरकार के पोषण अभियान में योगदान देना है.
यह परियोजना समुदाय स्तर के स्वयंसेवकों के माध्यम से समुदाय में पहुंचाई जाती है, जिन्हें सुपोषण संगिनी के रूप में जाना जाता है. इन संगिनियों को कुपोषित बच्चों की पहचान करने और उन्हें रेफर करने, घर-आधारित परामर्श देने, खाना पकाने का प्रदर्शन करने, फोकस समूह चर्चा और पोषण शिविर आयोजित करने, ग्राम-स्तरीय कार्यक्रम आयोजित करने, किचन गार्डन विकसित करने और कुपोषण से संबंधित मुद्दों के बारे में सामुदायिक जागरूकता पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.
विदिशा जिले में 11 सितंबर को इस परियोजना का शुभारंभ विदिशा के जालोरी गार्डन हॉल में किया गया. इस कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि शशि मिश्रा (अतिरिक्त जिला कलेक्टर), भरतसिंह राजपूत, (जिला परियोजना अधिकारी), प्रीति राकेश शर्मा (नगरपालिका अध्यक्ष), मुकेश सक्सेना (मानव संसाधन प्रमुख) और विवेक यादव (लीड-स्वास्थ्य एवं पोषण, अदाणी फाउंडेशन) ने दीप प्रज्ज्वलित करके प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया.
नगरपालिका अध्यक्ष प्रीति राकेश शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. उन्होंने स्वस्थ समाज के लिए कुपोषण और एनीमिया जैसे संवेदनशील मुद्दों पर काम करने के महत्व पर अपनी बात कही. उन्होंने इस महान कार्य को शुरू करने के लिए हरसंभव समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताई.
विदिशा जिले में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण NFHS-5 के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग (बौनापन) की दर 41.1% है. अंडरवेट (कम वजन) 40.4% बच्चे हैं और वास्टिंग (दुबलापन) 21.4% बच्चों में है. प्रोजेक्ट फॉर्च्यून सुपोषण का उद्देश्य प्रधानमंत्री के सुपोषित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पोषण अभियान का समर्थन करना और कुपोषण और एनीमिया मुक्त समाज के लिए ICDS के काम में योगदान देना है.
प्रोजेक्ट के तहत प्रत्येक सुपोषण संगिनी तीन आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ सहयोग करेगी और निगरानी, माप, परिवार परामर्श, समूह चर्चा, किचन गार्डन, वॉश बास्केट विकसित करने और IYCF व WASH घटकों को मजबूत करने के लिए काम करेगी. यह काम ICDS विभाग के समन्वय में किया जाएगा. प्रत्येक संगिनी को वेट मशीन, इन्फैंटोमीटर, स्टेडियोमीटर और एक आधुनिक टैबलेट से लैस किया जाएगा.
जिला परियोजना अधिकारी भरतसिंह राजपूत ने निरंतर सम्प्रेषण के माध्यम से सुपोषण परियोजनाओं के उद्देश्यों को हासिल करने पर बल दिया. योगेश तिवारी (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी-विदिशा) ने कुपोषण एवं एनेमिया को विदिशा जिले से दूर करने लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा संपूर्ण सहयोग प्रदान करने की बात कही. अदाणी विल्मर लिमिटेड के मुकेश सक्सेना (मानव संसाधन प्रमुख) ने टीम को बधाई दी और सफल क्रियान्वयन के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं. कार्यक्रम में सुपोषण टीम, जिला पंचायत पदाधिकारी, ICDS और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सुपोषण संगिनी सहित 170 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया.
पोषण माह के अंतर्गत अदाणी विल्मर द्वारा कार्यक्रम में मौजूद सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा बहनों एवं सुपोषण संगिनी को हाइजीन किट वितरित किए गए. प्रोजेक्ट फार्च्यून सुपोषण, विदिशा की सुपोषण अधिकारी गुन मालविया ने कार्यक्रम का संचालन किया.
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