उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि न्यायपालिका तक पहुंच को इस तरह से ‘हथियार' बनाया गया है, जो दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं हो रहा है. देश के भीतर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के प्रयासों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, ‘‘सबसे पुराने लोकतंत्र, सबसे मजबूत लोकतंत्र, सबसे प्रगतिशील लोकतंत्र और सबसे जीवंत लोकतंत्र वाले देश में - और संवैधानिक रूप से दुनिया का एकमात्र देश जिसमें हर स्तर पर लोकतांत्रिक प्रणाली है, चाहे वह गांव हो, शहर हो, राज्य हो या राष्ट्र हो - हमारी चुनावी प्रक्रिया को इस तरह से प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है, जो नहीं होना चाहिए.''
धनखड़ ने कहा कि विभाजनकारी ताकतें अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं. धनखड़ ने कहा, ‘‘इन ताकतों ने नये-नये रास्ते अपनाए हैं और बहुत से मुद्दों पर आप देखेंगे कि वे न्यायपालिका की शरण में जाते हैं.''
उन्होंने दावा करते हुए कहा, ‘‘मैं चिंतित हूं, क्योंकि हमारे देश के संविधान ने न्यायिक व्यवस्था में हर व्यक्ति को अधिकार दिया है. और वह अधिकार क्या है? न्यायालय की शरण लेने का अधिकार. हालांकि, हाल के वर्षों में, राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए धन का इस्तेमाल किया गया है, और न्यायपालिका तक पहुंच को हथियार बनाया गया है, और यह इस तरीके से हो रहा है, जो दुनिया के किसी भी देश में नहीं हो रहा है.''
राष्ट्र के सांस्कृतिक दर्शन को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए धनखड़ ने कहा, ‘‘आज के दिन, जब मैं एक तरफ देखता हूं, तो भारत की प्रगति को दुनिया की नजर से देखना चाहिये, राष्ट्र के अंदर बसने वाले लोगों की नजर से देखो, तो वो बारिश में नाचते हुए मोर के पंख की तरह हैं...लेकिन जब मैं मोर के पैरों को देखता हूं, तो मुझे चिंता होती है, सोचने पर मजबूर हो जाता हूं और फिर मुझे अपने सांस्कृतिक दर्शन की आवश्यकता महसूस होती है. हम उसी शाखा को काटने की कोशिश कर रहे हैं, जिस पर हम पनप रहे हैं, जिस पर हम बैठते हैं.''
उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष), विश्व बैंक और दुनिया की अन्य अग्रणी संस्थाएं कहती हैं कि अगर निवेश, अवसरों और प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए दुनिया में कोई चमकता सितारा है, तो वह भारत है. भारत को निवेश और अवसरों के लिए वैश्विक पसंदीदा गंतव्य माना जाता है.''