देश बदल गया, अब हथियार नहीं... नक्‍सली हिड़मा की मौत पर अभय ​​भूपति का 'साथियों' को संदेश

हिड़मा के मारे जाने के बाद पूर्व नक्‍सली अभय ​​भूपति ने कहा कि ये बहुत चिंता का विषय है कि हमारे 5 साथियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. हमें समझना होता कि अब समय बदल चुका है.

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अब संविधान के रास्‍ते पर चलने का समय... पूर्व नक्‍सली अभय ​​भूपति
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  • छत्तीसगढ़ के कुख्यात माओवादी कमांडर माडवी हिडमा आंध्र प्रदेश में मुठभेड़ में मारा गया
  • हिडमा के मारे जाने पर अभय भूपति ने अपने साथियों से हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया है
  • अभय भूपति ने कहा कि बदलती परिस्थितियों में संविधान के अनुसार जनता के मुद्दे उठाना जरूरी है
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मुंबई:

छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशकों में हुए बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड, प्रतिबंधित माओवादी संगठन का कुख्यात कमांडर माडवी हिड़मा मंगलवार को पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में एक मुठभेड़ में मारा गया. ऐसे में शीर्ष नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ अभय ​​भूपति ने अपने सक्रिय साथियों से हथियार डालने और जनता के बीच काम करने के लिए मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया है. उन्‍होंने वीडियो मैसेज जारी कर कहा कि देश में अब परिस्थितियां बदल गई हैं, ऐसे में हमें अब जनता के बीच आकर संविधान के अनुसार, आम जनता के मुद्दों को उठाना चाहिए.  

अब संविधान के रास्‍ते पर चलने का समय

अभय उर्फ सोनूदादा ने महाराष्ट्र की गढ़चिरौली पुलिस के समक्ष 14 अक्टूबर को आत्मसमर्पण कर किया था. हिड़मा के मारे जाने के बाद अभय ​​भूपति ने कहा कि ये बहुत चिंता का विषय है कि हमारे 5 साथियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. हमें समझना होता कि अब समय बदल चुका है. उन्‍होंने कहा, 'पिछले कुछ दिनों से लगातार मुठभेड़ों का समाचार मिल रहा है. पहले भी कुछ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. आज सुबह से भी एनकाउंटर की जानकारी मिल रही है. इसमें हिड़मा सहित 5 साथियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. ये बहुत चिंताजनक विषय है. मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि हम लोग लगभग डेढ़ महीने पहले ही हथियार छोड़ चुके हैं. हमारे अन्‍य साथियों को भी अब संविधान के रास्‍ते पर चला चाहिए.' 

देश बदल गया... हथियार के साथ संघर्ष करने वक्‍त नहीं

भारत की बदली ही परिस्थितियों का जिक्र करते हुए अभय भूपति ने कहा, 'बदली हुई परिस्थितियों के साथ हम हथियार के साथ संघर्ष नहीं कर सकते हैं, ऐसा सोचकर हम आम जनता के बीच में आए हैं. आज हम जनता के मुद्दों को संविधान के हिसाब से काम करके हल कर सकते हैं. हथियारों के साथ हमने बहुत कुछ खो दिया है. हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ा है. आज दुनिया बदल गई है, देश बदल गया है, परिस्थितियां बदल गई हैं, इसलिए हथियार छोड़कर हमें जनता के साथ आना है. जनता के बीच में आकर संविधान के हिसाब से काम करना है. हमारे सामने आज यही महत्‍वपूर्ण विकल्‍प है.'

कौन था माडवी हिड़मा 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश से माओवादी समस्या को समाप्त करने के लिए 31 मार्च 2026 की अंतिम समय सीमा निर्धारित की है. सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने एंटी-नक्सल अभियानों में लगे वरिष्ठ अधिकारियों को हिडमा को 30 नवंबर से पहले समाप्त करने का निर्देश दिया था. हिड़मा इसी समयसीमा से 12 दिन पहले मारा गया. सूत्रों का यह भी कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बल  जिस तेजी से लगातार अभियान चला रहे है उसे देखते हुए वामपंथी उग्रवाद संभवतः गृह मंत्री की मार्च 2026 की समयसीमा से पहले ही पूरी तरह खत्म हो सकता है. 1981 में सुकमा में जन्मे हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की एक बटालियन का कमांडर था और माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य भी. उसे बस्तर से माओवादी शीर्ष नेतृत्व में पहुंचने वाला एकमात्र आदिवासी नेता माना जाता था. वह 26 से अधिक बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा और देश के सबसे खतरनाक उग्रवादी नेताओं में गिना जाता जाता था.

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