AAP vs BJP : दिल्‍ली मेयर चुनाव के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, इस मुद्दे पर फंसा है पेंच

उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत 10 एमसीडी सदस्यों को वोट देने की अनुमति दिए जाने के बाद भाजपा और आप के विरोध के कारण 6 और 24 जनवरी और 6 फरवरी को पार्षदों की बैठक में मेयर का चुनाव नहीं हो सका.

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दिल्ली से सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसद और 14 विधायक शामिल हैं
नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच मेयर पद को लेकर तनातनी थमने का नाम नहीं ले रही है. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर पद के लिए जल्द चुनाव कराने की मांग वाली आम आदमी पार्टी (आप) की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फिर से सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में, सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आम आदमी पार्टी के दावे की पुष्टि करते हुए कहा कि "मनोनीत सदस्य" चुनाव में नहीं जा सकते.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि , "संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं." चुनाव 17 फरवरी के बाद की तारीख तक के लिए टाल दिया गया है. आप और बीजेपी के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच मेयर चुनने की तीन बार असफल कोशिश हुई है. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी द्वारा 16 फरवरी को चुनाव कराने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था.

उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत 10 एमसीडी सदस्यों को वोट देने की अनुमति दिए जाने के बाद भाजपा और आप के विरोध के कारण 6 और 24 जनवरी और 6 फरवरी को पार्षदों की बैठक में मेयर का चुनाव नहीं हो सका. एमसीडी मेयर के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में 250 निर्वाचित पार्षद, दिल्ली से सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसद और 14 विधायक शामिल हैं. दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने आप के 13 विधायकों और भाजपा के एक सदस्य को नगर निकाय के लिए नामित किया है.

बता दें कि पिछले साल दिसंबर में हुए निकाय चुनाव में आप ने 134 वार्ड और भाजपा ने 104 वार्ड जीते थे. निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले भाजपा के बागी मुंडका वार्ड से जीतने के बाद फिर से पार्टी में शामिल हो गए. महापौर चुनावों में कुल वोट 274 हैं. संख्या का खेल आप के पक्ष में है, जिसके पास भाजपा के 113 के मुकाबले 150 वोट हैं.

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