"देश का एक बड़ा वर्ग ‘रेवड़ी संस्कृति’ से मुक्ति चाहता है..", MP में बोले पीएम मोदी

पीएम मोदी  ने आगे कहा कि पहले गरीबों के लिए घर का आवंटन होने के बाद शौचालय अलग बनाना पड़ता था, पानी-गैस के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने समेत रिश्वत देनी पड़ती थी.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीति में रेवड़ी संस्कृति को लेकर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने मध्य प्रदेश के सतना में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में एक बड़ा वर्ग इससे मुक्ति दिलाने के लिए कमर कस रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना देश में सामाजिक-आर्थिक बदलाव का एक प्रमुख साधन बन रही है. पीएम मोदी  ने आगे कहा कि पहले गरीबों के लिए घर का आवंटन होने के बाद शौचालय अलग बनाना पड़ता था, पानी-गैस के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने समेत रिश्वत देनी पड़ती थी. साथ ही पहले जिसे घर में रहना होता है उसकी कोई पसंद या नापसंद नहीं होती थी, इसलिए जो थोड़े बहुत घर बनते भी थे तो उनमें से बहुतों में गृह प्रवेश नहीं हो पाता था. लेकिन हमने ये आजादी घर की मालकिन को, घर के मालिक को दे दी। इसलिए आज पीएम आवास योजना बहुत बड़े सामाजिक-आर्थिक बदलाव का माध्यम बन रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएमएवाई के तहत घरों में बिजली, पानी कनेक्शन और गैस कनेक्शन जैसी सभी सुविधाएं हैं. यह लाभार्थियों को उनके सपनों को पूरा करने की ताकत देगा. पहले की सरकारों के गरीबी हटाने के हर वादे और हर दावे, सिर्फ राजनीति के दांव हुआ करते थे, वो किसी के काम नहीं आए. उन्होंने आगे कहा कि जब करदाता को लगता है कि उसका पैसा सही जगह पर लग रहा है तो वह खुश होता है और ज्यादा कर देता रहता है.

उन्होंने आगे कहा कि आज देश के करदाता को यह संतोष है कि कोरोना काल में करोड़ों लोगों की मदद करके वह कितनी बड़ी सेवा का काम कर रहा है. आज जब मैं चार लाख घर दे रहा हूं तो हर करदाता सोचता होगा कि मैं (करदाता) तो दिवाली मना रहा लेकिन मप्र का कोई गरीब भी दिवाली मना रहा है. उसे पक्का घर मिल रहा है. करदाता जब यह देखता है कि उससे वसूले गए रुपयों से मुफ्त की रेवड़ी बांटी जा रही है, तो करदाता सबसे ज्यादा दुखी होता है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर अनके करदाता उन्हें खुलकर चिट्ठी लिख रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि इस योजना के तहत केवल मप्र में 22 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इससे मप्र में विकास की गतिविधियों को गति मिली है क्योंकि कारीगर, व्यापारी और समाज के अन्य सभी वर्ग इससे लाभान्वित हो रहे हैं.

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