कोरोना की तीसरी लहर के खिलाफ पहली और दूसरी डोज में 85 दिन का अंतर बन सकता है समस्‍या, यह है विशेषज्ञों की राय..

भारत के सामने अभी सबसे बड़ी चिंता यह है कि आबादी के बेहद कम प्रतिशत लोगों (4%) को ही वैक्‍सीन के दोनों डोज लग पाए हैं जबकि 18 फीसदी को केवल एक डोज लगा है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
वैक्‍सीन की प्रभावशीलता, एक डोज के बजाय दोनों डोज के साथ ज्‍यादा बेहतर मानी जा रही है
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस (coronavirus) की तीसरी लहर की आशंका और चिंताओं के बीच यह सवाल इस समय सामने आ रहा है कि क्‍या वैक्‍सीन की पहली और दूसरी डोज (first and second vaccine dose) के बीच 85 दिन का अंतराल इस राह में अड़चन बन सकता है? आंकड़े बताते हैं कि ऐसे लोगों की संख्‍या जरूरी तौर पर बढ़ाने की जरूरत है जो वैक्‍सीन की दोनों डोज लग चुके हैं. वैक्‍सीन के दोनों डोज को संभावित तीसरी लहर और वायरस के खिलाफ 'जंग' का प्रभावी उपाय माना जा रहा है. 

"ऑक्सीजन जरूरत को 4 गुना बढ़ा चढ़ाकर बताया'', ऑडिट पैनल की रिपोर्ट पर AAP बनाम केंद्र

कोरोना की तीसरी लहर के खिलाफ 'जंग' के लिए जरूरी बातें 
1. वैक्‍सीन की प्रभावशीलता, एक डोज के बजाय दोनों डोज के साथ ज्‍यादा बेहतर मानी जा रही है.
2. वैक्‍सीन के दोनों डोज को परिणाम के लिहाज से एक डोज की तुलना में तीन गुना प्रभावी माना गया है. 
3. प्रकाशित हुई मेडिकल रिपोर्टों के अनुसार-दोनों डोज, कोविड के खिलाफ लगभग 90 फीसदी प्रभावी है जबकि एक डोज केवल 33 फीसदी प्रभावी मानी गई है. 
4. भारत के सामने अभी सबसे बड़ी चिंता यह है कि आबादी के बेहद कम प्रतिशत लोगों (4%) को ही वैक्‍सीन के दोनों डोज लग पाए हैं जबकि 18 फीसदी को केवल एक डोज लगा है.  
5. नीचे दिए गए आधिकारिक आंकड़े हर राज्‍य के आंकड़ों और इससे जुड़ी चिंताओं की ओर इशारा कर रहे हैं. यूपी, बिहार, झारखंड, मेघालय, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्‍यों में केवल दो फीसदी आबादी को ही दोनों डोज लगे हैं. क्‍या 33 फीसदी प्रभावशीलता, कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए पर्याप्‍त है, ज्‍यादातर मेडिकल विशेषज्ञ का कहना है कि 33 फीसदी प्रभावशीलता काफी कम है.

Featured Video Of The Day
Breaking News | Delhi में BNS के तहत पहली सजा, Rape Case में उम्रकैद, 18 दिन में फैसला | Delhi News
Topics mentioned in this article