हमें हिंद पर नाज है...

78th independence day : ये नया भारत है, जो हर क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है. चाहे बात डिजिटल इंडिया की करें या फिर स्टार्टअप की या फिर मोबाइल नेटवर्क या हाइवे के जाल की, हर तरफ भारत बुलंदियों पर है.

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देश आज मना रहा है अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस
नई दिल्ली:

15 अगस्त 1947 की सुबह आजादी का सूरज कई उम्मीदों के साथ उगा था. मुश्किलें कई थीं. चुनौतियां तमाम थीं. लेकिन जोश आसमां छू लेने का था. आज आजादी के 77 साल बाद हिंद के दामन में कुछ ऐसा है, जिस पर हर हिंदुस्तानी को नाज  है. आइए आपको नए भारत के इस सफर पर ले चलते हैं... 

1- हाइवेः एक्सप्रेस वे पर फर्राटा भरता इंडिया

इंडिया आज एक्सप्रेस-वे पर भर्राटा भर रहा है. दिल्ली से अपनी कार से बिहार जाना अब हकीकत है. दिल्ली से देहरादून की दूरी ढाई घंटे तक सिमटने वाली है. आजादी के वक्त महज 4 लाख किलोमीटर की सड़कें औज करीब 63.45 लाख किलोमीटर तक फैल चुकी हैं. भारत का सड़क नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े सड़क नेटवर्क में शुमार है.

2- इंजिनियरिंगः सारे जहां से 'ऊंचा' हिंदोस्तां हमारा

सारे जहां से अच्छा ही नहीं, अब ऊंचा भी है हिंदोस्ता हमारा. यह कहने की वजह है. 359 मीटर ऊंचाई वाला  दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब रेल ब्रिज आज हिंदुस्तान में है. एफिल टावर से भी ऊंचे इस पुल पर अपनी ट्रेन सरपट दौड़ रही है. दुनिया की सबसे लंबी हाइवे सुरंग अटल सुरंग भी हिंद की जमीं पर है. और दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है.

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3- मोबाइलः सबसे सस्ता कॉल भारत में

तारीख 31 जुलाई 1995. नोकिया के एक 'भारी' मोबाइल से बंगाल के तत्कालीन सीएम ज्योति बसु और टेलिकॉम मिनिस्टर सुखराम ने पहला कॉल किया था. आज भारत में 117 करोड़ मोबाइल और 93 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन हैं. कॉल रेट 3 पैसे प्रति मिनट है. जो दुनिया में सबसे सस्ती है. एक जीबी डेटा 9.12 रुपये का है, जो सबसे सस्ता है.

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4- स्टार्टअपः अपने दम पर कुछ करने का जज्बा  

युवाओं में आज अपने दम पर कुछ कर दिखाने का जज्बा बुलंद है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप बाजार है. भारत में 1.25 लाख से ज्यादा स्टार्टअप मौजूद हैं, इनमें से 110 यूनिकॉर्न बन चुके हैं.  45% से ज्यादा स्टार्टअप का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं.

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5-ट्रेनेंः चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क

भारत के पास आज दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. हर दिन ढाई करोड़ लोगों को लेकर करीब 20 हजार ट्रेनें पटरियों पर दनदनाती हुई दौड़ती हैं.  1947 में जब देश आजाद हुआ था भारत में 25 हजार किलोमीटर ब्रॉडगेज रेल नेटवर्क था.

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6- सिनेमाः OTT का जमाना,  एंटरटेनमेंट फुल 

एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट... सिनेमा का पर्दा इतना रंगीन कभी न था. 1947 में ब्लैक वाइट फिल्मों से शुरू हुआ सफर आज OTT के नए दौर में है. सिनेमा पर्दे से उतरकर मोबाइल पर आ चुका है. डेढ़ हजार से ज्यादा फिल्में बन रही हैं. एंटरटेनमेंट आज पॉकेट में है. 

7- चंद्रयान, मंगलयान, गगनयान... अंतरिक्ष में उड़ान

साइकिल में जाते इसरो के पहले रॉकेट के वे तस्वीरें आज भी भावुक और रोमांचित करती हैं. वह पहला कदम आज चंद्रयान के बाद मंगलयान तक पहुंच चुका है. सूर्य मिशन आदित्य एल-1 सफल सफर पर है. भारत के गगनयात्री भी तैयारी पर हैं.  गगनयान की बात करें तो भारत ने पांच नवंबर 2013 को उसे रवाना किया था. 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचा था.सोवियत संघ,अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद भारत ऐसा चौथा देश था, जिसने यह कारनामा कर दिखाया था.भारत ऐसा पहला देश है, जिसने यह मुकाम अपने पहले ही प्रयास में हासिल किया.

8- मदर शिप का आगमन

भारत की पोर्ट इंडस्ट्री के लिए शुक्रवार 12 जुलाई 2024 का दिन ऐतिहासिक था. भारत में गहरे पानी के पहले केरल के विड़िन्यम बंदरगाह पर मदर शिप सैन फर्नांडो का भव्य स्वागत किया गया था. यह दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी मर्क्स का जहाज था. यह 300 मीटर लंबा और 48 मीटर चौड़ा था. इस पर दो हजार से अधिक कंटेनर लदे हुए थे. केरल के कोवलम बीच के पास बना विड़िन्यम बंदरगाह देश का पहला ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट था. यह बंदरगाह दुनिया के बड़े बंदरगाहों में से एक है. विड़िन्यम पोर्ट का दूसरा और तीसरा चरण 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है. पूरी तरह से बन जाने के बाद यह दुनिया का सबसे हरा-भरा बंदरगाह होगा.

9-बाघः टाइगर खुश हैं..  

दुनिया में सबसे अधिक बाघ भारत में रहते हैं. साल 2022 की स्टेटस ऑफ टाइगर्स, को-प्रीडेटर्स एंड प्रे इन इंडिया-2022 की 2023 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बाघों की संख्या 3682 थी.साल 2006 में भारत में केवल 1411 बाघ थे. दुनिया के 75 फीसदी से ज्यादा बाघ भारत के जंगलों में रहते हैं. इसके साथ ही भार में बाघ अभ्यारण्यों की संख्या भी बढ़कर 54 हो गई है.  

10- खेतीः हरियाली और रास्ता

भारत में कृषि अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. देश की जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 18 फीसदी से अधिक की है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में 15.8 करोड़ लोगों को कृषि क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ था.करोड़ों लोगों के लिए खेती-बाडी़ केवल एक आर्थिक गतिविधि ही नहीं, बल्कि जीवनशैली है.दुनिया में सबसे अधिक पैदावार करने वाले चार देशों में भारत भी शामिल है.दूसरे तीन देश हैं, अमेरिका, चीन और ब्राजील. भारत में अन्न, दलहन, सब्जियां और फलों की पैदावार होती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल देश में सबसे अधिक कृषि उत्पादन करने वाले राज्य हैं.

11- हेल्थ सेक्टरः आयुष्मान इंडिया

आजादी के बाद से भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में भी काफी काम किया है. साल 1947 में देश में करीब 700 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सात हजार से अधिक अस्पताल थे. लेकिन आज देश में 30 हजार से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 69 हजार से अधिक अस्पताल हैं. इनमें करीब 20 लाख बेड हैं. इन अस्पतालों में ओपीडी चलाई जाती है. वहीं तकनीक का शानदार इस्तेमाल करते हुए ईसंजीवनी टेलीमेडिसिन आउटरीच जैसे कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. इसमें किसी दूसरे शहर में बैठे डॉक्टर दूरदराज के इलाकों में रोजाना करीब 35 हजार लोगों का इलाज करते हैं. लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन शुरू किया था. इसके अलगे ही साल सरकार ने आयुष्मान भारत योजना है. इसके तहत पात्र परिवारों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है.

12- डिजिटल क्रांति: कैश नहीं, बार  कोड दिखाओ

आज आप देश के किसी कोने में अपने पॉकेट में एक पैसे का कैश रखे बिना आ-जा सकते हैं.यह संभव हो पाया है भारत के यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेश के जरिए. इसे देश में यूपीआई के नाम से जाना जाता है.इससे आप अपने मोबाइल फोने से कहीं भी भुगतान कर सकते हैं.देश में यूपीआई की लोकप्रियता भारत की डिजिटल क्रांति का प्रतीक है.इसके जरिए भारत ने कैशलैस अर्थव्‍यवस्‍था की ओर कदम बढ़ाए हैं. भारत ने यह क्रांति केवल पैसे के लेन-देन ही नहीं बल्कि रोजमर्रा के जीवन के हर पहलू में की है. इस डिजिटल क्रांति का लाभ छात्र-छात्राओं से लेकर किसान तक उठा रहे हैं. केंद्र सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए एक जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया अभियान की शुरुआत की थी. इसका मकसद लोगों को इलेक्ट्रानिक रूप से सुविधाएं मुहैया कराना था.

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