हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने राज्य के लोगों को प्राइवेट नौकरियों (Reservation In Private Sector) में 75 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है. इस मतलब है कि राज्य में जहां कहीं भी प्राइवेट नौकरी के अवसर होंगे उनमें से 75 प्रतिशत पद राज्य के नागरिकों के लिए आरक्षित होंगे, यानि हरियाणा के नागरिकों को ही उन पर पदों पर नियुक्त किया जाएगा. शेष 25 प्रतिशत पदों के लिए देश के किसी भी हिस्से के नागरिक नियुक्त किए जा सकते हैं.
राज्य सरकार ने अपने बयान में कहा है, 'हरियाणा में अधिवासित स्थानीय उम्मीदवारों को नौकरियों में वरीयता प्रदान करने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 के उल्लंघन से जुड़ा है, जो कानून के समक्ष समानता से संबंधित है. और अनुच्छेद 19 (1) (जी), जो किसी भी पेशे का अभ्यास करने, या किसी भी तरह के व्यवसाय करने से संबंधित कुछ अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है, इसलिए इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाएगा.'
स्थानीय उम्मीदवारों के हरियाणा राज्य रोजगार विधेयक, 2020 (Haryana State Employment of Local Candidates Bill, 2020) प्रस्तावित कानून का लक्ष्य हरियाणा में स्थित निजी कंपनियों, समाजों, न्यासों, सीमित देयता भागीदारी फर्मों, साझेदारी फर्मों आदि में प्रति माह 50,000 रुपये से कम वेतन वाले नौकरियों के लिए स्थानीय उम्मीदवारों को 75% रोजगार प्रदान करना है.
हालांकि, नियोक्ताओं के पास एक जिले से स्थानीय उम्मीदवारों को केवल 10% तक भर्ती करने का विकल्प होगा. प्रस्तावित कानून में एक छूट का खंड भी शामिल है यदि उपयुक्त स्थानीय उम्मीदवार किसी विशेष श्रेणी के उद्योग के लिए उपलब्ध नहीं हैं.
राज्य के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने इसकी घोषणा करते हुए इसे भावुक पल बताया है.
अगर फिर भी कंपनी कानून का उल्लंघन करती है तो उसे हर रोज पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
ये रहेगा कानून का प्रारूप
हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमेंट टू लोकल केंडिडेट्स एक्ट-2020 प्रदेश के सभी निजी उद्योग, फर्म अथवा हर रोजगार प्रदाता पर लागू होगा जहां 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत है. यह नियम पहले से कार्यरत कर्मचारियों पर लागू न होकर अध्यादेश के नोटिफिकेशन जारी होने की तिथि के बाद निजी क्षेत्र में होने वाली भर्तियों पर लागू होगा.
हरियाणा डोमिसाइल धारकों को मिलेगा लाभ
निजी क्षेत्र के उद्योगों में हरियाणा के युवाओं को आरक्षण का लाभ लेने के लिए उनके पास हरियाणा का स्थाई निवासी प्रमाणपत्र (डोमिसाइल) होना अनिवार्य है. इस कानून को लागू करवाने का जिम्मा श्रम विभाग का होगा. कानून के दायरे में आने वाली प्रत्येक फर्म, फैक्ट्री अथवा आउट सोर्सिंग कंपनी को अपने अधीन कार्यरत कर्मचारियों का विस्तार पूर्वक डाटा सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत करवाना अनिवार्य होगा. निजी क्षेत्र में यह कानून 50 हजार रूपये तक वेतन वाले पदों पर ही लागू होगा.
कानून में ऐसे मिल सकती है छूट
निजी क्षेत्र के रोजगार प्रदाता को प्रदेश में निपुण अथवा योग्य कर्मचारी की उपलब्धता न होने पर इसकी सूचना श्रम विभाग को देनी होगी. श्रम विभाग संबंधित फर्म को कर्मचारियों को सक्षम बनाने या अन्य राज्य के युवाओं को नौकरी देने के लिए अनुमति देगा.
कड़े कानून से सुगम होंगे रोजगार के रास्ते
किसी फर्म अथवा रोजगार प्रदाता द्वारा अपने कर्मचारियों का पंजीकरण न करवाने, आधी-अधूरी अथवा झूठी जानकारी, फर्जी प्रमाण पत्र देने और नियमों का पालन न करने पर अलग-अलग सेक्शन के तहत जुर्माने लगाने का प्रावधान किया गया है. प्रत्येक तिमाही बाद रोजगार प्रदाता को संबंधित पोर्टल पर रिपोर्ट भी अपडेट करनी होगी