730 जवानों ने किया सुसाइड, 55000 कर्मियों का इस्तीफा... गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में रखा पैरामिलिट्री फोर्स का डेटा 

रिपोर्ट ने सेना के जवानों ने निजी कारणों से खुदकुशी की है. CAPF कर्मियों के बीच आत्महत्या में वृद्धि के कारणों की स्टडी करने वाले टास्क फोर्स ने कहा कि आत्महत्या करने वाले 80% से ज्यादा जवान छुट्टी खत्म कर लौटे थे.

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नई दिल्ली:

लंबे समय तक ड्यूटी करने और नींद की कमी के कारण केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) में तैनात जवान न सिर्फ आत्महत्या कर रहे हैं, बल्कि अपनी सर्विस पूरी होने से पहले ही वॉलन्टरी रिटायरमेंट भी रहे हैं. गृह मंत्रालय ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि इस साल 730 जवानों ने खुदकुशी की है. 55,000 से ज्यादा जवानों ने या तो इस्तीफा दे दिया या VRS ले ली है.

रिपोर्ट ने सेना के जवानों ने निजी कारणों से खुदकुशी की है. CAPF कर्मियों के बीच आत्महत्या में वृद्धि के कारणों की स्टडी करने वाले टास्क फोर्स ने कहा कि आत्महत्या करने वाले 80% से ज्यादा जवान छुट्टी खत्म कर लौटे थे.

आत्महत्या की वजहें आमतौर पर निजी कारण

रिपोर्ट में कहा गया है, "आत्महत्या के निजी कारणों में लाइफ पार्टनर या परिवार के सदस्य की मौत, शादी में विवाद या तलाक, आर्थिक मुसीबतें और बच्चों के लिए अपर्याप्त शिक्षा के मौके शामिल हैं."

42797 जवानों ने ली लीव पॉलिसी

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए वह सुनिश्चित कर रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कर्मियों को अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिले. गृह मंत्रालय ने राज्यसभा के साथ साझा किए गए आंकड़ों में कहा कि 42797 जवानों ने लीव पॉलिसी का इस्तेमाल किया.

6302 कर्मियों ने परिवार के साथ बिताए 100 दिन 

नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया, "इस साल अक्टूबर तक 6,302 कर्मियों ने अपने परिवार के साथ 100 दिन बिताए. 2023 में यह आंकड़ा 8,636 और 2021 में 7,864 था.

अधिकारियों को नियमित बातचीत की सलाह

गृह मंत्रालय टास्क फोर्स को CAPF और असम राइफल्स में आत्महत्या और भाईचारे को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है. जवानों की शिकायतों का पता लगाने और उनका निपटारा करने के लिए अधिकारियों को उनसे नियमित बातचीत करने को कहा है. उन्हें ड्यूटी के घंटों को पर्याप्त आराम और राहत सुनिश्चित करने को कहा गया है सैनिकों के लिए रहने की स्थिति में सुधार और पर्याप्त मनोरंजन के सुझाव भी दिए गए हैं.

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि आत्महत्या के ट्रिगर परिवारिक समस्याएं और ड्यूटी संबंधी दोनों वजह हो सकती हैं. दोनों ही मोर्चों पर सहज अनुभवों से जवानों के बीच तनाव में काफी कमी आती है. इसमें पुरुषों की तुलना में महिला कर्मियों में आत्महत्या के प्रयासों की कम घटनाएं देखी गईं.

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पेशेवर चुनौतियां भी हो सकती हैं संभावित ट्रिगर

रिपोर्ट में पेशेवर चुनौतियों को संभावित ट्रिगर के रूप में दर्शाया गया है. ज्यादातर कर्मियों ने बताया कि यह आत्महत्या से होने वाली मौतों का एकमात्र कारण नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है, "ट्रेस मैनेजमेंट की दिशा में अब तक किए गए प्रयास बेतरतीब, छिटपुट और आम तौर पर उनके तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंचाए गए हैं. इसपर और ज्यादा काम करने की जरूरत है."

ट्रांसपरेंट लीव मैनेजमेंट सिस्टम का सुझाव

टास्क फोर्स ने एक ट्रांसपरेंट लीव मैनेजमेंट सिस्टम का सुझाव दिया. इसमें प्रत्येक रैंक पर छुट्टियां आरक्षित होंगी. रिपोर्ट में कहा गया कि एक पारदर्शी ट्रांसफर पॉलिसी की भी जरूरत है. क्योंकि सर्विस में अपर्याप्त प्रमोशन के रास्ते कर्मियों को हतोत्साहित करते हैं.

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