पुणे के यवत में हिंसा में 500 से अधिक लोगों के खिलाफ 5 प्राथमिकियां दर्ज, 15 गिरफ्तार

यवत पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने हिंसा के सिलसिले में अब तक कुल पांच मामले दर्ज किए हैं. इनमें से चार मामले 500 से अधिक लोगों के खिलाफ हैं, जो कथित तौर पर आगजनी और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में संलिप्त थे. इनमें से 100 से अधिक लोगों की पहचान हो चुकी है.’’

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आगजनी और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में संलिप्त 100 से अधिक लोगों की पहचान हो चुकी है.
पुणे:

पुणे जिले के यवत गांव में सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर भड़की सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और 500 से अधिक व्यक्तियों के खिलाफ कुल पांच प्राथमिकी दर्ज की हैं.  अधिकारी ने बताया कि ‘व्हाट्सएप' पर आपत्तिजनक स्टेटस लगाने वाले युवक को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. यवत पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक नारायण देशमुख ने बताया कि अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और इन सभी को छह अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

100 से अधिक लोगों की पहचान

सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर आक्रोश के कारण शुक्रवार दोपहर दौंड तहसील के यवत गांव में सांप्रदायिक तनाव फैल गया और हिंसा की अलग-अलग घटनाएं सामने आईं. इस दौरान लोगों के समूहों ने तोड़फोड़ की और संपत्तियों को आग लगा दी. यवत पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने हिंसा के सिलसिले में अब तक कुल पांच मामले दर्ज किए हैं. इनमें से चार मामले 500 से अधिक लोगों के खिलाफ हैं, जो कथित तौर पर आगजनी और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में संलिप्त थे. इनमें से 100 से अधिक लोगों की पहचान हो चुकी है.''

उन्होंने बताया कि हिंसा में शामिल लोगों ने एक मोटरसाइकिल, दो कारों, एक धार्मिक स्थल और एक बेकरी को निशाना बनाया और आगजनी की. उन्होंने बताया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया. उन्होंने बताया कि यवत में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और स्थिति नियंत्रण में है.

पुणे के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संदीप सिंह गिल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्रारंभिक जांच किसी सुनियोजित साजिश की ओर इशारा नहीं करती और जांच पूरी होने तक कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता. उन्होंने कहा, ‘‘शनिवार दोपहर तक, पुलिस ने घटना के संबंध में पांच प्राथमिकी दर्ज की हैं.'' उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति की आपत्तिजनक पोस्ट के कारण हिंसा भड़की, वह वर्षों से गांव में रहता है. एसपी ने कहा कि हिंसा भड़कने पर पुलिस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और स्थिति को नियंत्रण में कर लिया.

गिल ने कहा, ‘‘राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) समेत सुरक्षाकर्मियों की एक बड़ी टुकड़ी गांव में तैनात की गई है. अधिकारियों ने शुक्रवार रात से भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लागू कर दी है, और आगे की स्थिति का आकलन होने तक ये निषेधाज्ञाएं लागू रहेंगी.''

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गणेश बिरादर ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा कि सोशल मीडिया मंच पर नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘हम गांवों में नजर रखने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.'' दौंड विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक राहुल कुल ने भी शुक्रवार रात हिंसा प्रभावित गांव का दौरा किया और कोल्हापुर रेंज के विशेष महानिरीक्षक सुनील फुलारी और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बातचीत की.

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मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर एक ग्रामीण ने कहा, 'अभी तनाव नहीं है और स्थिति नियंत्रण में है. हमारे आस-पास के सभी लोगों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, लेकिन किसी आपत्तिजनक स्थिति को लेकर झड़पें शुरू हो गईं.' शुक्रवार को पुणे दौरे के दौरान, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि एक युवक ने एक हिंदू पुजारी के बलात्कार के मामले में शामिल होने के बारे में एक आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड की थी, जिससे स्थानीय निवासी नाराज हो गए.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। यवत में स्थिति अब नियंत्रण में है और शांति बनी हुई है। दोनों समुदायों के लोग एकजुट हैं और तनाव घटाने के प्रयास जारी हैं। कुछ लोग तनाव पैदा करने के लिए ही ऐसी आपत्तिजनक पोस्ट डालते हैं। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने का अधिकार नहीं है।''

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उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को घटनास्थल का दौरा किया और बताया कि जिस युवक ने कथित तौर पर आपत्तिजनक व्हाट्सएप पोस्ट अपलोड किया था, वह नांदेड़ का रहने वाला है और एक दिहाड़ी मजदूर है।

उन्होंने बताया कि उसने मध्य प्रदेश में हुई एक घटना से संबंधित एक आपत्तिजनक पोस्ट डाली थी, जिससे स्थानीय निवासी भड़क गए और उन्होंने तोड़फोड़ की।

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