44 लोग गिरफ्तार, 45 लाख की संपत्ति जब्त, IPL सट्टेबाजी रैकेट पर गोवा पुलिस की बड़ी कार्रवाई

गोवा पुलिस ने छापेमारी के दौरान पुलिस ने 101 मोबाइल फोन, 17 कंप्यूटर, 95 बैंक पासबुक, 145 एटीएम कार्ड, 50 से ज्यादा सिम कार्ड, चेक बुक, सीसीटीवी सिस्टम, राउटर और विस्तृत रजिस्टर जब्त किए.

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देश की सबसे बड़ी सट्टेबाजी विरोधी कार्रवाइयों में से एक
पणजी:

गोवा में अवैध खेल सट्टेबाजी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई में, गोवा पुलिस और क्राइम ब्रांच ने एक बड़े स्तर पर चल रहे आईपीएल सट्टेबाजी सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. इस अभियान में 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और करीब ₹45 लाख की संपत्ति जब्त की गई है. गिरफ्तार किए गए अधिकांश आरोपी गोवा के बाहर के हैं. यह कार्रवाई छह दिनों तक चली और छह अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई. इनमें से दो बड़े ऑपरेशन क्राइम ब्रांच की अगुवाई में हुए, जिसमें 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया और ₹40 लाख की संपत्ति जब्त की गई.

क्राइम ब्रांच के पुलिस अधीक्षक राहुल गुप्ता ने  एक प्रेस वार्ता में बताया कि यह कार्रवाई देश की सबसे बड़ी सट्टेबाजी विरोधी कार्रवाइयों में से एक है. उन्होंने बताया कि यह अवैध नेटवर्क केवल आईपीएल तक सीमित नहीं था, बल्कि अन्य क्रिकेट फॉर्मेट और फुटबॉल तक फैला हुआ था. यह पूरा नेटवर्क डिजिटली तरीके से चल रहा था. गुप्ता ने बताया कि खुफिया जानकारी के आधार पर टीमों ने इंडिया रिजर्व बटालियन (IRB) के सहयोग से करवाई की. सट्टेबाजी नेटवर्क में एक पूर्ण संरचित व्यवस्था थी. कस्टमर सर्विस टीम, डिजिटल भुगतान के माध्यम, और लेटेस्‍ट टेक्‍नोलॉजी, जिससे कानून से बचा जा सके.

छापेमारी के दौरान पुलिस ने 101 मोबाइल फोन, 17 कंप्यूटर, 95 बैंक पासबुक, 145 एटीएम कार्ड, 50 से ज्यादा सिम कार्ड, चेक बुक, सीसीटीवी सिस्टम, राउटर और विस्तृत रजिस्टर जब्त किए. यह सिंडिकेट नवंबर-दिसंबर 2024 से गोवा के किराए के मकानों से संचालित हो रहा था, और सारी लेनदेन पूरी तरह डिजिटल थी, जिससे नकद का कोई निशान नहीं मिला. जांच में डिजिटल साक्ष्य जैसे चैट लॉग, पेटीएम जैसी भुगतान प्लेटफार्मों के क्यूआर कोड, और लेन-देन डेटा बरामद हुआ, जो इस रैकेट की व्यापकता को दर्शाता है. हालांकि नकद बरामद नहीं हुआ, फिर भी एक रात की छापेमारी में ही ₹40 लाख की डिजिटल ट्रांजैक्शन राशि का पता चला.

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प्रारंभिक जांच से पता चला है कि गोवा स्थित यह मॉड्यूल एक बहु-राज्यीय सट्टेबाजी नेटवर्क का हिस्सा है. गिरफ्तार आरोपियों की भूमिकाएं अलग-अलग थीं—कोई डिजिटल ट्रांजैक्शन संभालता था, तो कोई कस्टमर सपोर्ट का काम करता था.

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आरोपियों को गोवा जुआ अधिनियम की अपेक्षाकृत हल्की धाराओं के तहत तुरंत जमानत न मिल सके, इसलिए पुलिस ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी और पहचान छुपाने जैसे गंभीर आरोप भी जोड़े हैं. इस पूरे नेटवर्क की गहराई और अन्य राज्यों से इसके संबंधों की जांच जारी है.

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