बाढ़, बारिश, तूफान, शीतलहर और चक्रवात... भारत को इस वर्ष के पहले नौ महीनों में 93 प्रतिशत दिनों में मौसम की मार झेलनी पड़ी है. मौसम की ये हेल्थ रिपोर्ट हैरान करने के साथ-साथ डराने वाली भी है. विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (CSE) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल प्राकृतिक आपदाओं में अब तक 3,238 लोगों की मौत हुई और करीब 32 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है.
मौसम ने इस साल रौद्र रूप
CSE की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौसम ने इस साल रौद्र रूप दिखाया है, जिसने मौसम वैज्ञानिकों को भी हैरान किया है. इस दौरान गर्मी और शीतलहर, चक्रवात, बिजली, भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन में 3,238 लोगों की जान ले ली. इस दौरान 32 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है. वहीं, 235,862 घर नष्ट हो गए और लगभग 9,457 पशुधन मारे गए.
नवंबर में भी पड़ रही गर्मी
मौसम की मार साल के अंतिम महीनों में भी देखने को मिल रही है. नवंबर का महीना शुरू हो गया है, लेकिन दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान में अभी तक ठंड पड़नी शुरू नहीं हुई है. दिल्ली में दोपहर में अब भी गर्मी का अहसास हो रहा है. मौसम विभाग की मानें तो इस समय दिल्ली का औसत तापमान 5 डिग्री ऊपर है. अगले 7 दिनों तक दिल्ली की रातें गर्म रहने का अनुमान है. दिल्ली ही नहीं, बाकी शहरों में भी मौसम का यही हाल है देखने को मिल रहा है.
2023 में कैसे थे हालात
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम की चरम परिस्थितियों ने 3,238 लोगों की जान ले ली, 32 लाख हेक्टेयर (एमएचए) फसलें प्रभावित हुईं, 2,35,862 मकान एवं इमारतें नष्ट हो गईं और 9,457 पशु मारे गए. इसकी तुलना में 2023 के शुरुआती नौ महीने में 273 दिनों में से 235 दिन मौसम की परिस्थितियां चरम दर्ज की गई थीं, जिसके कारण 2,923 लोगों की मौत हुई थी, 18 लाख 40 हजार हेक्टेयर फसलें प्रभावित हुई थीं, 80,293 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे तथा 92,519 पशु मारे गए थे. रिपोर्ट तैयार करने वाले डेटा विश्लेषकों ने बताया कि रिपोर्ट में जो नुकसान दर्ज किया गया है, वह घटना-विशिष्ट नुकसानों का पूर्ण डेटा नहीं होने के कारण इससे भी अधिक हो सकता है.
केरल में सबसे अधिक 550 लोगों की मौत
मध्य प्रदेश में देश में सर्वाधिक 176 दिन तक मौसम की परिस्थितियां चरम रहीं. केरल में सबसे अधिक 550 लोगों की मौत हुई. उसके बाद मध्य प्रदेश (353) और असम (256) का नंबर आता है. आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक (85,806) मकान क्षतिग्रस्त हुए, जबकि मौसम की चरम परिस्थितियों के कारण देशभर में जो फसलें नष्ट हुई, उनकी 60 प्रतिशत से अधिक फसलें महाराष्ट्र में नष्ट हुईं. फसलों को नुकसान के मामले में महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश (25,170 हेक्टेयर) का नंबर आता है. महाराष्ट्र में 142 दिन तक मौसम की परिस्थितियां चरम रहीं. इस साल 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चरम मौसम वाले दिनों में वृद्धि देखी गई जिनमें से कर्नाटक, केरल और उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं के 40 या उससे अधिक अतिरिक्त दिन रहे.
जनवरी 1901 के बाद से भारत का नौवां सबसे सूखा महीना
इस साल जलवायु संबंधी कई रिकॉर्ड भी स्थापित हुए. जनवरी 1901 के बाद से भारत का नौवां सबसे सूखा महीना रहा. फरवरी में, देश ने पिछले 123 वर्ष में अपना दूसरा सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया. मई में चौथा सबसे अधिक औसत तापमान दर्ज किया गया और जुलाई, अगस्त एवं सितंबर में 1901 के बाद से सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया. सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं पहले शताब्दी में एक बार होती थीं, वे अब हर पांच साल या उससे भी कम समय में हो रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ के कारण 1,376 लोगों की मौत हुई, जबकि वज्रपात और तूफान के कारण 1,021 लोगों की जान गई.