- संसद ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर विचार के लिए 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति गठित की है
- समिति की अध्यक्ष बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी हैं. विपक्ष के विरोध के बावजूद सुप्रिया सुले और ओवैसी शामिल हैं
- 130वें संविधान संशोधन के जरिए 30 दिन तक लगातार जेल में रहने पर पीएम, सीएम या मंत्री को हटाने का प्रावधान है
संसद ने बुधवार को एक अहम कदम उठाते हुए 130वें संविधान संशोधन विधेयक समेत तीन विधायकों पर विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित कर दी. 31 सदस्यीय इस समिति की अध्यक्षता बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी को सौंपी गई है. इस विधेयक में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधियों की गंभीर आरोपों में गिरफ्तारी के 30 दिन बाद पद से हटाने का प्रावधान है. समिति इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 और केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित सरकार (संशोधन) विधेयक की भी समीक्षा करेगी.
समिति में कौन शामिल, कौन बाहर?
इस अहम समिति में लोकसभा और राज्यसभा के 31 सदस्य शामिल हैं. कांग्रेस , टीएमसी , सपा और डीएमके का कोई सदस्य नहीं है, लेकिन एनसीपी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को शामिल किया गया है. यह इसलिए अहम है क्योंकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने कमिटी में किसी का नाम नहीं भेजने का फ़ैसला किया था.
ये हैं समिति के 31 सदस्य
- अपराजिता सारंगी (अध्यक्ष)
- रवि शंकर प्रसाद
- भर्तृहरि महताब
- प्रधान बरुआ
- बृजमोहन अग्रवाल
- विष्णु दयाल राम
- डीके अरुणा
- पुरषोत्तम रूपाला
- अनुराग सिंह ठाकुर
- लावु श्री कृष्णा देवरायालु
- देवेश चंद्र ठाकुर
- धैर्यशील संभाजीराव माने
- बलशौरी वल्लभनेनी
- सुप्रिया सुले
- असदुद्दीन ओवैसी
- हरसिमरत कौर बादल
- इंद्रा हंग सुब्बा
- सुनील दत्तात्रेय तटकारे
- एम मल्लेश बाबू
- जयंता बसुमातारी
- राजेश वर्मा
- बृज लाल
- उज्ज्वल निकम
- नबाम रेबिया
- नीरज शेखर
- मनन कुमार मिश्रा
- डॉ. के. लक्ष्मण
- सुधा मूर्ति
- बीरेन्द्र प्रसाद बैश्य
- सी.वी. षणमुगम
- एस. निरंजन रेड्डी
बिल में क्या है प्रावधान?
130वें संविधान संशोधन विधेयक में यह अहम प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या केंद्र या राज्य का कोई मंत्री लगातार किसी भी गंभीर आरोप में अगर गिरफ्तार होते हैं और 30 दिन तक उन्हें जमानत नहीं मिलती है तो उन्हें उनके पद से मुक्त कर दिया जाएगा. यह प्रस्ताव सत्ता के शीर्ष पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. हालांकि विपक्षी नेता इसका यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि यह विधेयक कानून के उस मूलभूत सिद्धांत का उल्लंघन है जिसके अनुसार दोषी साबित होने तक व्यक्ति निर्दोष होता है.
यह संविधान संशोधन विधेयक और दो अन्य प्रस्तावित विधेयकों को 20 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन पेश किया गया था. लोकसभा द्वारा तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया था. संसद का शीत सत्र आगामी 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा.













