राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में 2020 में भड़के दंगों के दौरान दो घरों को आग लगाने के जुर्म में एक दोषी को 10 साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला मंगलवार को दोषी जॉनी कुमार के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस) और 436 (घर आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा) के साथ-साथ अवैध रूप से एकत्र होने के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है.
कुमार को इस साल 14 फरवरी को आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) के तहत भी दोषी ठहराया गया था.अभियोजन पक्ष ने कुमार पर उस दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया था, जिसने 25 फरवरी 2020 को दंगों के दौरान यहां खजूरी खास इलाके में दो घरों को आग लगा दी थी.
विशेष लोक अभियोजक नरेश कुमार गौड़ ने दोषी के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा, 'एक समाज के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम अपने समुदायों की हिफाज़त करें.”
अदालत ने कहा, “इस मामले में दोषी द्वारा किए गए अपराध का प्रभाव केवल शिकायतकर्ता और अन्य पीड़ित को हुए नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि दंगाइयों के कृत्यों ने सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर डाला है...कथित कृत्यों ने सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डालते हुए लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा की.”
अदालत ने मोहम्मद साफिल और मोहम्मद दाउद के घरों में आगजनी करने के लिए पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और क्रमश: 50 हजार और 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
अदालत ने कुमार को आईपीसी की धारा 148 के तहत एक साल के साधारण कारावास और आईपीसी की धारा 188 के तहत छह महीने के साधारण कारावास की सजा भी सुनाई.
अदालत ने कहा कि धारा 148 और 188 के तहत मिली सज़ा पांच साल की प्रथम सज़ा के साथ-साथ चलेगी. विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि आगज़नी के मामले में मिली पांच-पांच साल की सज़ा क्रमानुसार चलेगी.
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