दो हजार रुपये के नोटों (2000 rupees notes circulation) को लेकर अक्सर सरकार सवालों के घेरे में रहती है. आलोचकों का कहना है कि सरकार ने 1000 रुपये का नोट बंदकर उसकी जगह दो हजार रुपये का नोट चलाकर कालेधन (Black Money) को बढ़ावा दिया है, हालांकि सरकार इससे इनकार करती रही है. सरकार ने अब बाजार में कितने 2000 रुपये के नोट चलन में है, इसकी जानकारी संसद में दी है. केंद्र सरकार की मानें तो पिछले साढ़े तीन सालों में बाजार में चलन में मौजूद दो हजार रुपये के नोटों की संख्या में 34 फीसदी की कमी आई है.
संसद में दी गई जानकारी में सरकार ने कहा है कि इस साल नवंबर में बाजार प्रचलन वाले 2,000 रुपये के नोटों की तादाद 223.3 करोड़ नोट यानी कुल नोटों का महज 1.75 फीसदी रह गई. जबकि मार्च 2018 में 336.3 करोड़ थी.वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में ये जानकारी दी. चौधरी ने कहा कि विशेष मूल्य के बैंक नोटों की छपाई का निर्णय रिजर्व बैंक (RBI) की सलाह से और जनता की लेनदेन संबंधी मांग को ध्यान में रखकर किया जाता है.
उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2018 को 2000 रुपये मूल्य वाले 336.3 करोड़ नोट चलन में थे जो मात्रा के हिसाब से 3.27 प्रतिशत और मूल्य के आधार पर 37.26 प्रतिशत थे. अब 26 नवंबर, 2021 को 223.3 करोड़ नोट चलन में थे, जो कुल नोटों के मुकाबले में मात्रा के हिसाब से 1.75% और मूल्य के हिसाब से 15.11 रह गए हैं.
चौधरी ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2018-19 से नोट के लिए करेंसी प्रिंटिंग प्रेस के पास कोई नया मांग पत्र नहीं रखा गया है. नोटबंदी के बाद जारी 2,000 रुपये के नोट के चलन में कमी इसलिए आई है क्योंकि वर्ष 2018-19 से इन नोटों की छपाई के लिए कोई नई मांग नहीं की गई है. नोट भी खराब हो जाते हैं क्योंकि वे गंदे और कटे-फटे हो जाते हैं.